supreme court : सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की उम्र लड़कों के एक समान करने का अनुरोध करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। बता दें, इस याचिका पर बड़ी टिप्पणी करते हुए CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान के रक्षक के तौर पर अदालत के पास लागू करने का कोई विशेषाधिकार नहीं है। CJI ने यह भी कहा कि संविधान की रक्षा के लिए संसद के पास भी उतना ही अधिकार है जितना सुप्रीम कोर्ट के पास। अगर आपको सभी धर्मों में लड़कियों की उम्र लड़कों के एक समान करवाना है तो इसका अधिकार संसद के पास भी है। संसद किसी भी कानून में संशोधन कर सकता है। आपको वहां जाना चाहिए।
कानून संशोधन का मामला
सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की उम्र लड़कों के एक समान करने की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘ये कानून में संशोधन का मामला है। ऐसे में अदालत इस मामले में संसद को कानून लाने के आदेश नहीं दे सकता।’ हाँ, ऐसा तब हो सकता है जब अदालत शादी की 18 साल की उम्र को रद्द कर देता है। फिर शादी के लिए कोई न्यूनतम उम्र नहीं रह जाएगी। इस मामले में कोर्ट ने याचिकाकर्ता बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय को फटकार लगाते हुए कहा कि अदालत कोई राजनीतिक मंच नहीं है। हमें ये मत सिखाइए कि संविधान के रक्षक के तौर पर हमें क्या करना चाहिए, नहीं करना चाहिए।
बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी याचिका
बता दें , सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की उम्र लड़कों के एक समान करने की याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की तरफ से याचिका दाखिल की गई है। मालूम हो, इससे पहले लड़के -लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र तय करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों को नोटिस जारी किया था। कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका के अनुसार कोर्ट को इस संदर्भ में तय करने को कहा गया है कि धार्मिक मान्यताओं से अलग हटकर ऐसा कानून बने जिसमें विवाह की एक समान उम्र तय हो। लड़के -लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र भी तय की जाए जो सभी नागरिकों पर लागू हो।
also read : http://Bageshwar Dham: इलाज के लिए बागेश्वर धाम परिक्रमाा करने आई महिला की मौत