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Supreme Court: दिल्ली में 2006 तक के जमीन अधिग्रहण को कोर्ट ने ठहराया सही, जानें क्या कहा

• LAST UPDATED : May 26, 2024

India News Delhi ( इंडिया न्यूज ), Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 1957 और 2006 के बीच दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (डीएसआईआईडी), पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) और दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) द्वारा किए गए भूमि अधिग्रहण को बरकरार रखा है। इन इकाइयों ने विभिन्न परियोजनाओं के लिए भूमि का अधिग्रहण किया था। दिल्ली सरकार ने राजधानी क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के तहत भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की थी, जिसके बाद इन राज्य इकाइयों को जमीन दे दी गई थी।

उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया

जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपकंर दत्ता और उज्जवल भुइया की पीठ ने 17 मई को सैकड़ों लोगों द्वारा दायर याचिका पर एक आदेश पारित किया था। इस आदेश ने दिल्ली उच्च न्यायालय (Supreme Court) के फैसले को रद्द कर दिया, जिसने भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही को बंद घोषित कर दिया था। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 1957 से 2006 तक लंबा समय बीत चुका है और इस दौरान किये गये भूमि अधिग्रहण को जारी रखने की अनुमति दी जाती है।

भूमि अधिग्रहण को वैध ठहराया

कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज करने से जनहित में बाधा पहुंचेगी। इसलिए, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए भूमि अधिग्रहण को वैध ठहराया।

कोर्ट का यह फैसला दिल्ली की विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें आवासीय और औद्योगिक क्षेत्रों का विकास, बुनियादी ढांचे का निर्माण और मेट्रो रेल विस्तार शामिल है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि भूमि अधिग्रहण के खिलाफ याचिकाओं को खारिज करने से कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे सार्वजनिक हित प्रभावित होंगे।

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कोर्ट का यह फैसला उन सैकड़ों लोगों के लिए झटका है जिन्होंने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया अवैध थी और इसे समाप्त किया जाना चाहिए। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया और भूमि अधिग्रहण जारी रखने की अनुमति दे दी।

डीएसआईआईडी, ईडीएमसी और डीएमआरसी द्वारा अधिग्रहित भूमि पर विभिन्न विकास परियोजनाएं बिना किसी कानूनी बाधा के जारी रह सकेंगी। इससे दिल्ली के बुनियादी ढांचे और परिवहन प्रणाली में सुधार होगा, जो तेजी से बढ़ती आबादी और शहरीकरण की मांगों को पूरा करने के लिए आवश्यक है।

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