Supreme Court: मुख्य चुनाव आयुक्त और आयुक्तों की भर्ती को निष्पक्ष बनाए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की पीठ में सुनवाई जारी की है। जिसमें यह मांग की गई है कि चुनाव आयुक्तों के चयन का कार्य सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, देश के प्रधानमंत्री और लोकसभा में नेता विपक्ष की कमिटी को दे देना चाहिए।
आपको बता दे इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बताया कि मुख्य चुनाव आयुक्त को खुद में इतना सख्त होना चाहिए कि अगर प्रधानमंत्री पर भी किसी गलती का आरोप लगता है तो चुनाव आयुक्त अपना दायित्व अच्छे से निभा सके। इसके बाद इस पर सरकार ने जवाब दिया कि सिर्फ काल्पनिक स्थिति के आधार पर केंद्रीय कैबिनेट पर अविश्वास नहीं किया जाना चाहिए। आज भी योग्य लोगों का ही चयन किया जा रहा है।
बता दे कोर्ट ने कहा है कि चीफ इलेक्शन कमिश्नर और दो इलेक्शन कमिश्नरों के कंधों पर संविधान में सभी महत्वपूर्ण शक्तियां दी गई हैं। इसलिए इनकी भर्ती के समय निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाना चाहिए, ताकि अच्छा आदमी ही इस पद के लिए लाया जाए। आपको बता दे इस पर कोर्ट ने कहा कि संविधानिक चुप्पी का फायदा उठाया जा रहा।
बता दे यह सुनवाई कोर्ट ने भविष्य में कॉलेजियम सिस्टम के तहत CEC और EC की नियुक्ति की प्रक्रिया पर 23 अक्टूबर 2018 को दायर की गई एक याचिका पर की है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्र एक-तरफा चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करती है। पांच जजों की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
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