गुरुग्राम।
सुरुचि साहित्य कला परिवार के तत्वावधान में विचार गोष्ठी- संवाद का आयोजन किया गया, जिसका विषय था जीवन का उद्देश्य। इस गोष्ठी में इस विषय पर चिन्तन किया गया। पूर्व आयुक्त कुलबीर सिंह मलिक की अध्यक्षता में हुई गोष्ठी में 12 वक्ताओं ने अपने विचार रखे। संयोजक मदन साहनी ने कहा कि जीवन जीने का एक उद्देश्य होता है, जिसकी प्राप्ति के लिए मनुष्य समय समय पर लक्ष्य निर्धारित करता है। प्राय: लोग मोक्ष प्राप्त करना, बेहतर इन्सान बनना, आनन्द प्राप्त करना, परहित जीना जैसे उद्देश्य निश्चित करते हैं।
जीवन का उद्देश्य अपनी चाहत से जीना और चाहत को पाने की यात्रा है। इसके बाद शशांक शर्मा ने कहा कि उद्देश्य काल और परिस्थिति जन्य होते हैं और उनमें परिवर्तन होते रहते हैं। तत्पश्चात् नरेंद्र खामोश के विचार से जीवन का उद्देश्य आत्म सन्तोष की स्थिति प्राप्त करना होता है। नरोत्तम शर्मा का कहना था कि हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें क्या मिला, अपितु अधिक महत्वपूर्ण है कि हमने क्या किया और क्या दिया है।
सुरुचि परिवार के अध्यक्ष डॉ. धनीराम अग्रवाल ने कहा कि कि जीवन में सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास का महत्व है, तो विनय माही ने कहा जीवन का अन्तिम लक्ष्य खुशी पाना ही होता है। विदुषी सविता स्याल ने नि:स्वार्थ एवं कृतज्ञता के भाव से जीने को उद्देश्य माना तो विभा गोयल ने वर्तमान में जीने को विचारक एवं कवि त्रिलोक कोशिक का मत था कि प्रत्येक व्यक्ति के लक्ष्य निजी होते हैं। इनका सामान्यीकरण सम्भव नहीं है।
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