इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
The Central Government Said In The High Court : केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि सोशल मीडिया को नागरिकों के मौलिक अधिकारों का करना चाहिए सम्मान करना चाहिए और मनमानी से बचना चाहिए। केंद्र सरकार की ओर से कहा कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को सामाजिक और तकनीकी प्रगति का हवाला देकर उसे मझधार में नहीं छोड़ा सकता। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नागरिकों के मौलिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। इसके साथ ही भारत के संविधान के अनुरूप ही चलना चाहिए।
माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म द्वारा अकाउंट ससपेंड करने के खिलाफ एक ट्विटर यूजर ने याचिका दायर की थी। उक्त याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को खाते को स्वयं बंद नहीं करना चाहिए। केंद्र ने कहा कि प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ता को पूर्व सूचना दे सकता है। इसके साथ ही आवश्यक हो तो विशिष्ट जानकारी या सामग्री को हटाने की मांग की जा सकती है।
केंद्र सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि एक महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों के दमन के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए नहीं तो किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। केंद्र ने कहा कि ऐसे प्लेटफॉर्मों को नागरिकों के मौलिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। खाते को स्वयं बंद नहीं करना चाहिए। (The Central Government Said In The High Court)
केंद्र ने कहा है कि किसी भी सोशल मीडिया अकाउंट को भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता के हित में जैसे मामलों में निलंबित या डी-प्लेटफॉर्म किया जा सकता है। अन्य सभी मामलों में उपयोगकर्ता को एक पूर्व सूचना और न्याय की पारदर्शी प्रक्रिया होनी चाहिए। ताकि शिकायत अधिकारी से संपर्क करने का अधिकार और अपील के लिए उपयुक्त प्रावधान शामिल हों सकें। इससे एक पारदर्शी, निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सकेगी। (The Central Government Said In The High Court)
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