India News(इंडिया न्यूज़)The Mother Of Democracy: भारत ने जी20 शिखर सम्मेलन के 18वें संस्करण की मेजबानी की जो देश के लिए एक यादगार पल था। राजधानी दिल्ली में जी-20 बैठक के आखिरी चरण के बाद अब शिखर सम्मेलन समाप्त हो गया है। सम्मेलन में आने वाले विदेशी मेहमानों को केंद्र सरकार की ओर से ‘भारत: द मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ नाम की एक खास किताब दी गई है। इस पुस्तक में भारत की उन लोकतांत्रिक परंपराओं के बारे में चर्चा की गई है जिसने न सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप की नियति को बदल दिया बल्कि दुनिया भर के कई देशों को भी प्रेरित किया। भारत के राष्ट्रीय मूल्यों और हमारी प्राचीन संस्कृति में लोकतंत्र की गहरी जड़ें हैं, जो अलग और यहां तक कि असहमति के दृष्टिकोण के प्रति भी सम्मान सिखाती हैं। यह पुस्तक भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों के सार का प्रतिनिधित्व करती है। इस पुस्तक में भारत के पिछले 8000 वर्षों का गौरवशाली इतिहास समाहित है। हालाँकि, दिलचस्प बात यह है कि इसमें मुगल और ब्रिटिश शासन का कोई जिक्र नहीं है।
द मदर ऑफ डेमोक्रेसी किताब भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR) की ओर से प्रकाशित की गई है, जिसका विमोचन 24 नवंबर 2022 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया था। इस किताब का संपादन परिषद के अध्यक्ष प्रो रघुवेंद्र तंवर और सदस्य सचिव प्रो उमेश अशोक कदम ने किया है। इस पुस्तक में प्राचीन काल से लेकर वर्तमान में भारत के लोकतांत्रिक लोक-आचार के बारे में बताया गया है। यह पुस्तक प्रजा-तंत्र, जन-तंत्र और लोक-तंत्र के बीच अंतर को रेखांकित करती है। इस पुस्तक में युगों-युगों से भारत में प्रचलित लोकतांत्रिक संस्थाओं के असंख्य उद्धरण हैं। यह प्रमाणित करता है कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था सदियों से विकसित हुई है।
This booklet was given to dignitaries of G20
Title is :
Bharat – The mother of democracyIt contains glorious history of Bharat of last 8000 years
No Mughals, No British
Only Real Bhartiya KingsJust swipe to turn pages
An excellent piece of workhttps://t.co/Nq9XP7kGpj pic.twitter.com/AdH338abil— STAR Boy (@Starboy2079) September 12, 2023
1.पुरातत्व, साहित्य, मुद्राशास्त्र और पुरालेख।
2.गण, महाजनपद, राज्य।
3.भक्ति और संप्रदाय: लोकतांत्रिक परंपराओं की कल्पना।
4.प्रजातांत्रिक वादों का प्रस्फुटनः जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म।
5.लोक: जनजाति और खाप।
6.लोकतंत्र के लोकाचार: मानवता और उपनिवेशवाद।
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