इंडिया न्यूज,नई दिल्ली ।
There is No Objection in Opening The First Floor During Namaz : शब-ए-बारात और रमजान के दौरान भक्तों के लिए नमाज अदा करने के लिए मस्जिद की पहली मंजिल खोलने में कोई आपत्ति नहीं है । उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से स्पष्ट रुख के साथ आने के लिए कहा कि निजामुद्दीन मरकज को पूरी तरह से खोलने में उसे क्या आपत्ति है। अदालत ने पूछा कि जब दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा सभी कोविड-19 प्रतिबंधों को वापस ले लिया गया है तो एक हिस्से को ही खोलने की अनुमति क्यों है। 2020 में कोविड-19 नियमों के उल्लंघन पर तब्लीगी जमात के सदस्यों के बाद निजामुद्दीन मरकज में सार्वजनिक प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी के समक्ष सुनवाई के दौरान केंद्र के वकील ने बताया कि उन्हें शब-ए-बारात और रमजान के दौरान नमाज अदा करने के लिए मस्जिद की पहली मंजिल खोलने पर कोई आपत्ति नहीं है। उसके बाद परिसर को याचिकाकतार्ओं को वापस सौंप दिया जाएगा। इससे पहले केंद्र ने बताया था पांच लोगों द्वारा नमाज अदा करने की अनुमति दी गई है। यहां इस साल भी धार्मिक उत्सव किया जा सकता है।
अदालत ने केंद्र सरकार के वकील रजत नायर से पूछा, केवल धार्मिक दिनों के लिए ही क्यों? पूरे दिन के लिए क्यों नहीं। अगर मस्जिद का स्पष्ट सीमांकन है और डीडीएमए द्वारा लोगों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है। नायर ने कहा कि पहली मंजिल के खुलने से कोई समस्या नहीं है। अगर याचिकाकर्ता पूरे परिसर को फिर से खोलने की मांग कर रहा है तो आपत्ति है।
न्यायमूर्ति ओहरी ने पूछा कि मस्जिद में चार मंजिलें हैं तो केवल पहली मंजिल ही क्यों? अदालत ने सुनवाई सोमवार के लिए तय करते हुए सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्ट निदेर्शों के साथ आने के लिए कहा है। याचिकाकर्ता दिल्ली वक्फ बोर्ड के वकील ने 26 फरवरी 2022 के उस आदेश को रिकॉर्ड में रखा, जिसमें डीडीएमए द्वारा सभी कोविड -19 प्रतिबंधों को वापस लेने के लिए जारी किया गया है।
याची की ओर से पेश वकील वजीह शफीक ने तर्क दिया कि डीडीएमए द्वारा जारी हालिया आदेश के अनुसार मरकज परिसर को फिर से खोला जाना चाहिए। डीडीएमए ने अन्य धार्मिक स्थलों के बारे में जो कहा है वह इस स्थान पर भी लागू है। मरकज 2020 से बंद है। उन्होंने कहा कि न्यायालय के आदेश के अनुसरण में एक संयुक्त निरीक्षण किया गया था, जिसमें पूरे परिसर को आवासीय परिसर, मस्जिद चूड़ी वाली और छात्रावास के रूप में सीमांकित किया गया है।
मस्जिद में सात मंजिलें हैं। यह समझना मुश्किल है कि केंद्र सरकार सभी भक्तों को केवल पहली मंजिल पर क्यों रखना चाहती है। राजधानी में धार्मिक स्थलों पर ये प्रतिबंध क्यों लगाए गए। प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने तर्क दिया कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि परिसर को खोलने पर प्रतिबंध लगाया जाए। अधिवक्ता नायर ने कहा कि मरकज के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज है और यह संपत्ति का मामला है। 1500 एफआईआर हैं। यह भी स्पष्ट नहीं है कि परिसर का असली मालिक कौन है।
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