India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Waste Water: सीवरेज और इंडस्ट्रियल इकाइयों के अनवांटेड जल को पुन: उपयोग लायक बनाने के मिशन में भारत अब सिंगापुर की तरह आगे बढ़ेगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के स्टडी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, देश में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सहित अन्य हिस्सों में अनवांटेड जल को पीने योग्य बनाने के काम की तैयारियों में है। साथ ही, राज्यों को सख्त दिशा निर्देश भी जारी किए जाएंगे।
CPCB के अनुसार, अपशिष्ट जल को साफ़ करने के लिए प्रत्येक राज्य में कामन इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट (CITP) और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एस टीपी) लगे हैं। इनमें मानक भी तय हैं, जिनके अनुसार अपशिष्ट जल को पुन: उपयोग लायक बनाया जाता है। हालांकि, कई बार ये प्लांट कमजोर हो जाते हैं या फिर मानकों के अनुरूप काम नहीं करते। इस मिशन के तहत, हाल ही में CPCB की एक बोर्ड बैठक में विचार विमर्श भी किया गया है। इसके साथ ही, सीपीसीबी ने आगे भी इस मामले में नई पहल की ओर कदम बढ़ाया है।
अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग करने के लिए, सीपीसीबी ने जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (ZLD) पर काम करने का फैसला किया है। राज्यों को निर्देश दिए जाएंगे कि अपने सीवरेज और CITP पर ZLD का प्रयोग करें ताकि पानी की बर्बादी न हो। इसके साथ ही, पुनः उपयोग के लिए भी तैयारी की जाएगी।
सीपीसीबी ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और जलशक्ति मंत्रालय को पत्र लिखकर सिंगापुर माडल को अपनाने और पेय जल संकट को समाधान के लिए सुझाव दिया है। इस प्रयास में, जल संचयन की अवधारणा के साथ अपशिष्ट जल की बर्बादी भी न हो।
जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) एक प्रकार का जल उपचार प्रक्रिया है, जो अनवांटेड जल की कमी करता है और स्वच्छ पानी का उत्पादन करता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य है कि ऐसा पानी बनाया जाए जो पुन: उपयोग के लिए उपयुक्त हो।
आज, जीरो लिक्विड डिस्चार्ज की मांग बढ़ गई है। अगर हम पानी की बर्बादी को नहीं रोकते और अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग नहीं करते, तो भविष्य में जल संकट की संभावना है। इसलिए, हम लोग सीपीसीबी के स्तर पर कुछ पहल कर रहे हैं। अब यह देखा जाएगा कि इस पहल का कितना सकारात्मक परिणाम मिलता है। – डॉ. अनिल गुप्ता, सीपीसीबी के बोर्ड सदस्य
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