योगेश कुमार सोनी, नई दिल्ली :
हाल ही में दिल्ली के अधिकतर इलाकों में बहुत गंदा पानी आ रहा है इसके अलावा पानी जरुरत के हिसाब से भी नही मिल रहा। दिल्ली की जनता का जीना मुहाल हो गया है। शिकायत करने पर दिल्ली सरकार व विभाग ने हाथ खड़े कर देती है। मामला संज्ञान में आने के बाद भी दिल्ली सरकार के मंत्री इस मामले पर गंभीरता नहीं दिखा पा रहे है। वहीं दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों का कहना हम हर स्तर पर जितना बेहतर कर सकते हैं वो कर रहे हैं। लेकिन सवाल जस की तस बनी हुई है कि आखिर पीने के नलों में गटरों का गंदा पानी आ रहा है और वह कैसे पिया जाए।
स्थिति यह है कि पानी को तीन-चार बार भी फिल्टर करके पीने का लायक बनाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन उसमें से भी बदबू व कालापन नहीं जा रहा है। जिसके वजह से लोग गटर का पानी पीने को मजबूर हैं। स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि लोग गंदा पानी पीकर बीमार पड़ रहे हैं। इस मामले में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यह बेहद आश्चर्य की बात है कि एक ही तरह की बीमारी के लोग लगातार आ रहे है।ं यदि समय के साथ पानी स्वच्छ नहीं हुआ तो लोग बड़ी बीमारी के शिकार हो सकते हैं।
वहीं इस मामले में विपक्ष का कहना है कि दिल्ली सरकार फ्री बिजली व पानी के नाम पर लूटा है और लोगों को पानी के नाम पर जहर दिया जा रहा है। केजरीवाल एंड कंपनी जितनी बड़ी-बड़ी बातें करती हैं यदि उसका दो प्रतिशत भी काम कर लें तो राजधानी की हालात सुधर सकती है। यदि उन स्लम कॉलोनियों पर गौर करें जहां पाइप लाइन में पानी नही आता वहां टैंक में आता है। वहां तो पानी के लिए लोग ऐसे लड़ते हैं मानो खजाना लूट रहा हो।
चूंकि जितना पानी आता है उससे चालीस प्रतिशत लोगों को ही पूर्ति होती है। पानी के लिए लोग एक-दूसरे को जान से मारने तक के लिए आतुर हो जाते हैं। बीजेपी विधायक जितेन्द्र महाजन का कहना है कि मैं इस मामले को कई बार व्यक्तिगत तौर पर भी दिल्ली सरकार व दिल्ली जल बोर्ड के चीफ इंजीनियर पंकज कुमार गुप्ता को अवगत करा चुका हूं। लेकिन वह हर बार इस मामले को हंसकर टाल देते हैं। मानो ऐसा लगता है कि सरकार ने दिल्लीवासियों को मारने कॉन्ट्रैक्ट लिया हो।
आश्चर्य व पीड़ा की बात यह है कि यह स्थिति देश की राजधानी की है। इस मामले पर अब बीजेपी जगह-जगह प्रदर्शन भी कर रही है लेकिन हल निकलता नजर नहीं आ रहा है। केजरीवाल सरकार दिल्ली मॉडल के गुणगान ऐसी करती हो जैसे पेरिस बना दिया हो। पानी जिंदगी की बुनियादी जरूरत है और इस हाई टेक दुनिया में यदि इंसान पानी की किल्लत से परेशान है या मर रहा है तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण व चिंताजनक है।
जैसा कि कोरोना ने एक बार फिर से दोबारा से दस्तक दे दी। जिससे महानगर वासी एक बार फिर भय के माहौल में जी रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना के बीते कालखंडों में सबकी इम्यूनिटी कमजोर हुई है जिससे अब कोई भी छोटी-बड़ी बीमारी लोगों को प्रभावित कर रही है। ऐसे में पानी जैसी चीज जो जिंदगी की पर्यायवाची है यदि वो भी न मिले तो धिक्कार ऐसे राजनीति पर। हर चीज पर राजनीति कीजिए चूंकि भारत किसी भी चीज पर सियासत हो सकती है लेकिन कम से कम लोगों को बेमौत न मारा जाए।
बच्चे,बूढ़े व गर्भवती महिलाओं को गंदा पानी पीने से बहुत समस्या हो रही है। जिस तरह लोग गंदे पानी पीने वजह से बीमार पड़ रहे हैं, इस मामले पर चिकित्सकों का कहना है यदि कोरोना आ गया तो सबसे पहले इन लोगों को अपनी चपेट में ले लेगा चूंकि पानी इतना गंदा है कि बिल्कुल नाली के पानी की तरह जिससे लोगों की आंतरिक शक्ति बहुत कमजोर पड़ रही है।
जो पानी बार फिल्टर करके भी अपना रंग व स्वाद नही बदल रहा तो स्पष्ट तौर पर समझने की बात यह है कि यह जहर के समान ही माना जाएगा। आंकड़ों से स्पष्ट है दिल्ली सरकार जितना पैसा योजनाओं में नहीं लगाती उससे ज्यादा पोस्टरबाजी में लगा देती है। अपना आरोप दूसरे के सिर मढ़ने का काम केजरीवाल को भली भांति आता है। बीते दिनों कुछ जगहों पर मात्र हजारों रुपये लगाकर ब्रेकर बनवा दिये थे और यह बात जनता को बताने के लिए लाखों रुपये के पोस्टर पर खर्चा कर दिया था जिससे सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी। इसके अलावा भी ऐसी घटनाओं के तमाम उदाहरण है।
केजरीवाल सरकार इस समय दिल्ली की जनता से खुलेआम खिलवाड़ कर रही है। केजरीवाल एक अजीब से शैली के साथ राजनीति करते हैं। अपनी कमी या गलती कभी नहीं मानते। अच्छा किया तो दिल्ली सरकार और बुरा किया तो केन्द्र सरकार ने। कभी भी, कहीं भी बिना किसी तथ्यों के कुछ भी बोल देते हैं। जितना पैसा पोस्टरबाजी करके इस मामलों में जनता को गुमराह करने वालों हो उससे बहुत कम पैसों से इसका हल निकाल जाएगा, बशर्ते काम करना होगा। बहरहाल, जनता से जुड़े बुनियादी मामलों का ख्याल रखना होगा अन्यथा यह पब्लिक जैसे सिर चढ़ाती उससे भी बुरी तरह उतार देती है।
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