केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि सीआरपीसी और आईपीसी के प्रावधानों में बदलाव के लिए सरकार विचार कर रही है. इसमें राजद्रोह कानून पर भी विचार किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जांच करने के लिए 3 और महिने का समय दे दिया है.
केंद्र ने इस मामलें पर विचार शुरू भी कर दिया है
आपको बता दें कि आदालत ने पिछले साल नवंबर में केंद्र सरकार को चार महीने का समय दिया था. आज केंद्र सरकार की ओर से भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमनी कोर्ट में प्रस्तुत हुए. उन्होंने कहा कि मैंने खुद सरकार को इस विशेष प्रावधान सीआरपीसी की धारा 64 पर विचार करने की सलाह दी है. केंद्र ने इस मामलें पर विचार शुरू भी कर दिया है. इसका कुछ संबंध राजद्रोह कानून से भी है.
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इसपर सीजेआई ने पूछा कि इसका संबंध राजद्रोह से कैसे है इसपर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इसका संबंध सीआरपीसी और कई कानूनों में संसोधन से है. अटॉर्नी जनरल के आग्रह पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामलें कि सुनवाई को जून में तय कर दिया.
क्या है CrPC की धारा 64
धारा 64 के मुताबिक किसी अदालत द्वारा जारी समन किया गया समन को व्यक्ति के घर के किसी बालिग पुरुष सदस्य के द्वारा ही समन की स्वीकार किया जा सकता है, जबकि घर की कोई महिला समन स्वीकार नहीं कर सकती. इसके खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है ये प्रावधान लिंग के आधार पर भेदभाव करता है..