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World Rabbies Day: दिल्ली में लगातार लोगों को काट रहे हैं कुत्ते, मामला हो रहा है तेजी से दर्ज, जानें डॉक्टर ने इस मामले में क्या जानकारी दी

India News(इंडिया न्यूज़)World Rabbies Day: दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों के काटने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। दिल्ली में हर दिन करीब एक हजार लोग कुत्तों के काटने के बाद रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। इनमें से अधिकतर मामले आवारा कुत्तों के काटने के होते हैं। हालात ऐसे हैं कि कई बार संक्रमण बढ़ने से जान तक चली जाती है। संक्रमण बढ़ने पर एक महीने में चार मरीज लोकनायक अस्पताल पहुंचे, लेकिन हालत गंभीर होने पर उन्हें महर्षि वाल्मिकी संक्रामक रोग अस्पताल रेफर कर दिया गया।

इनमें से एक मरीज की रास्ते में ही मौत हो गई। जबकि तीन की इलाज के दौरान मौत हो गई। अधिकारियों के मुताबिक अस्पताल में ज्यादातर मरीज सामान्य लक्षण लेकर आते हैं। समय पर इलाज से इन्हें पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। कुछ मरीज दूर-दराज के इलाकों से आते हैं, समय पर इलाज न मिलने पर उनकी हालत बिगड़ जाती है। ऐसे मरीजों को संभालना मुश्किल हो जाता है। दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में रेबीज का इंजेक्शन लगवाने आने वाले हजारों लोगों में से ज्यादातर मामलों में उन्हें खेलते समय कुत्ते ने काट लिया है। केवल एक से दो प्रतिशत मामलों में ही कोई गंभीर रूप से घायल होता है।

इन अस्पतालों में सीरम है उपलब्ध

सफदरजंग अस्पताल के अलावा डॉ. राम मनोहर लोहिया और एम्स की इमरजेंसी में भी कुत्ते के काटने से बचाव के लिए सीरम की सुविधा उपलब्ध है। डॉक्टरों का कहना है कि एंटी-रेबीज वैक्सीन से एंटीजन मर जाता है और सीरम एक निष्क्रिय एंटीबॉडी है। ये दोनों टीके नए मरीजों को दिए जाते हैं। दोनों कुत्तों, बंदरों, बिल्लियों और अन्य लोगों के काटने पर प्रभावी हैं।

न बने लापरवाह

सफदरजंग अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश गौतम ने कहा कि अगर कुत्ता काट ले तो लापरवाही न बरतें। बच्चों को विशेष रूप से बताएं कि यदि उन्हें कभी कुत्ता, बिल्ली, बंदर या अन्य कोई काट ले तो वे तुरंत उन्हें बताएं। कई बार इसे हल्का मान लिया जाता है और रेबीज फैल जाता है और आगे कोई इलाज नहीं होता। ऐसे में मरीज की मौत हो जाती है। हाल ही में एनसीआर से एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें एक बच्चे को कुत्ते ने काट लिया था और संक्रमण तेजी से फैलने से बच्चे की मौत हो गई थी।

अगर कुत्ता काट ले तो क्या करें?

  • सबसे पहले घाव को पानी से धो लें
  • पांच से 10 मिनट के लिए बहते नल के पानी में रखें
  • एक साफ कपड़े से रक्तस्राव को धीमा करें
  • पट्टी न बांधें और तुरंत अस्पताल ले जाएं

जानें क्यों अस्पताल की हालत है खराब

संक्रमण के बाद विशेष सुविधाएं देने वाले अस्पताल की हालत खराब है। डॉक्टरों के मुताबिक, कुत्ते, बिल्ली या अन्य जानवर के काटने पर अगर कोई संक्रमित हो जाता है तो उसे दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के किंग्सवे कैंप स्थित महर्षि वाल्मिकी संक्रामक रोग अस्पताल भेजा जाता है। यहां उक्त व्यक्ति को विशेष सुविधाएं दी जाती हैं। यहां प्रतिदिन पांच से 10 मरीज रहते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल में डॉक्टरों और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण दिक्कतें हो रही हैं। हाल ही में मेयर शैली ओबेरॉय ने अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का निरीक्षण किया था और सुविधाओं में सुधार के निर्देश दिए थे।

आजकल लोग साधारण घरों में आक्रामक नस्लें पाल रहे हैं। इससे उन्हें घूमने के लिए पूरी जगह नहीं मिल पाती है और जब वे बाहर निकलते हैं और अपने आसपास भीड़ देखते हैं तो उन्हें डर लगने लगता है। इससे ये लोगों को काट लेते हैं। पशुचिकित्सक डॉ. हरावतार ने बताया कि कुत्तों की सबसे खतरनाक नस्लों में पिटबुल, रॉटवीलर, जर्मन शेफर्ड आदि शामिल हैं। इन प्रजातियों के कुत्ते बड़ी जगहों पर रहना पसंद करते हैं, अगर इन्हें छोटी जगहों पर रखा जाए या बांध दिया जाए तो ये तनावग्रस्त और चिड़चिड़े हो जाते हैं। इससे वे आक्रामक स्थिति में पहुंच जाते हैं। हम उनके साथ कैसा व्यवहार करते हैं, यह महत्वपूर्ण है, जैसे कि उन्हें मित्रवत बनाना और उनके साथ समय बिताना महत्वपूर्ण है।

जानें ठंडे तापमान वाले कुत्ते गर्म वातावरण में जीवित क्यों नहीं रह सकते

साइबेरियन और अमेरिकन हस्कीज़ ऐसी प्रजातियाँ हैं जो ठंडे तापमान में रहती हैं, लेकिन कई लोग मनोरंजन और शौक के लिए उन्हें गर्म वातावरण में रखते हैं। उनकी उचित देखभाल भी नहीं की जाती। इस कारण यह आक्रामक होने पर काट लेता है। ऐसे में इन्हें पर्यावरण के अनुरूप रखना जरूरी है। डॉ. हरावतार ने कहा कि आमतौर पर देखा जाता है कि लावारिस कुत्तों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता है। इसके कारण वे कई बार भूखे रह जाते हैं, जिससे उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ जाता है। खाने की तलाश में आए लोगों पर कुत्ते हमला कर देते हैं। लोगों को उनके व्यवहार के बारे में पता ही नहीं चलता।

जानें एमसीडी ने क्या कहा

एमसीडी के मुताबिक, राजधानी में करीब सात लाख लावारिस कुत्ते हैं। कुत्तों के काटने के बढ़ते मामलों के बीच एमसीडी अपना नसबंदी अभियान तेज कर रही है। इसके लिए अतिरिक्त एनजीओ को जोड़ा गया है। अब इनकी संख्या 16 से बढ़कर 21 हो गई है। वहीं, 21 नसबंदी केंद्र भी बनाए गए हैं। इनमें से पांच केंद्र विभिन्न एनजीओ के हैं, जबकि एमसीडी ने आठ केंद्र अपनी जमीन पर और आठ केंद्र दिल्ली सरकार के अस्पतालों में बनाए हैं। इससे सालाना 75,000 कुत्तों की नसबंदी हो सकेगी।

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Nidhi Jha

Journalist, India News, ITV network.

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