Diwali Puja Muhurt: कार्तिक अमावस्या, सभी अमावस्याओं में श्रेष्ठतम मानी गई है। इस दिन महालक्ष्मी की पूजा-आराधना करके अपने इष्ट कार्य को किया जा सकता है। कार्तिक अमावस्या के दिन भगवान राम असुरों का संहार करके अयोध्या लौटे थे, जिनका दीपोत्सव करके स्वागत किया गया था। इस दिन अंधेरे को दूर कर प्रकाश किया जाता है, इसी तरह हमें अपने अन्दर के विकारों के अन्धकार को मिटाकर अनुशासन, प्रेम, सत्य और सदाचार रूपी प्रकाश से स्वयं को प्रकाशित करना चाहिए।
प्रदोष काल– शाम 05 बजकर 43 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 16 मिनट तक
वृषभ काल– शाम 06 बजकर 53 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 48 मिनट तक
आपको बता दे दिवाली की पूजा के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा में एक चौकी रखें, उस चौकी पर लाल या गुलाबी वस्त्र बिछाएं। जिस पर पहले गणेश जी की मूर्ति रखें फिर उनके दाहिने लक्ष्मी जी को रखें। आसन पर बैठा कर चारों और जल छिड़क लें। इसके बाद संकल्प लेकर पूजा आरम्भ करें। एक मुखी घी का दीपक जलाएं। फिर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को फूल और मिठाइयां अर्पित करें। इसके बाद पहले भगवान गणेश, फिर मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
पूजा खत्म होने के साथ ही आरती करें और शंख बजाएं। घर में दीपक जलाने के पहले थाल में पांच दीपक रख कर उन्हें फूल आदि अर्पित करके पूजा कर लें, तब जाकर घर के अलग-अलग हिस्सों में दीपक रखना शुरू करें। घर के अलावा, कुएं के पास और मंदिर में भी दीपक जलाएं।
बता दे कि दिवाली पर मां लक्ष्मी की आरती बहुत ही शुभ मानी जाती है। माता लक्ष्मी की आरती 16 पंक्तियों की हैं। आरती के समय ध्यान रहे कि आपका स्वर मध्यम होना जरूरी है। आरती का दीपक शुद्ध घी से प्रज्वलित किया जाना चाहिए. इन दीपों की संख्या 5, 9, 11 या 21 हो सकती है।
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