India News(इंडिया न्यूज़), Halo Of Moon: कभी-कभी आकाश में चंद्रमा के चारों ओर एक वलय या गोलाकार घेरा दिखाई देता है, जिसे मून रिंग कहा जाता है और इस खगोलीय घटना को लूनर हेलो या चंद्रमा का हेलो कहा जाता है। यह खगोलीय दृश्य कम ही दिखाई देता है। पिछले हफ्ते रात में दिल्ली-पब्लिक साइंस के तारों में भी चंद्र वलय दिखाई दिया था। चंद्रमा के चारों ओर का घेरा ऐसा दिखता है जैसे यह धूमिल चंद्रमा के चारों ओर हो। इस दृश्य को माइक्रोबायोक्टोक डॉक्टर अनुप सिंह ने अपने कैमरे में कैद कर लिया।
इन तस्वीरों को अनूप सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वेल्थ पर शेयर किया है। ये तस्वीरें उन्होंने तीन दिन पहले अपने अकाउंट पर शेयर की थीं, जिसमें उन्होंने लिखा था कि कल रात यानी पोस्ट से एक रात पहले आसमान में चांद का छल्ला दिखाई दे रहा था। अब यहां यह जानना जरूरी है कि मून रिंग या चंद्रमा का प्रभामंडल क्या है और यह कैसे बनता है।
आसमान में बर्फ के क्रिस्टल हैं,जो कभी-कभी चांदनी में चमकते हैं। इनमें से एक खंड से तेज रोशनी निकलती है और चंद्रमा के चारों ओर एक घेरा बन जाता है। ये क्रिस्टल के आकार पर भी प्रतिबंध लगाते हैं। आमतौर पर देखा गया है कि बड़े चंद्रमा के छल्लों में छोटे-छोटे क्रिस्टल टूट जाते हैं। वलय के आकार से चंद्रमा की दीवार भी प्रभावित होती है। चंद्रमा के केंद्र से प्रकाश द्वारा प्रकाशित लंबी दूरी का चंद्रमा प्रभामंडल अधिक गहराई पर दिखाई दे सकता है।
चंद्रमा के छल्ले की घटना को वैज्ञानिक एक चमत्कारी अनुभव मानते हैं। वैज्ञानिक इस घटना को 22-डिग्री प्रभामंडल कहते हैं। पृथ्वी आकाश के अनुसार, यह चंद्रमा के चारों ओर जो घेरा बनाता है उसका व्यास हमेशा 22 डिग्री होता है, इसलिए इसे यह नाम दिया गया है। यह घटना अक्सर सितंबर-अक्टूबर और फरवरी-मार्च के महीने में देखी जाती है। उनका कहना है कि यह सामान्य घटना है, इससे डरने की जरूरत नहीं है। इसे विंटर हेलो या निंबस या आइसबो के नाम से भी जाना जाता है। यह वलय सूर्य के चारों ओर भी बनता है और इसे सूर्य प्रभामंडल कहा जाता है।
चंद्र वलय के संबंध में विभिन्न कलाकृतियों के अलग-अलग अर्थ हैं। कुछ लोग इसे मौसम में बदलाव का संकेत मानते हैं तो कुछ लोग मौसमी जादुई घटनाओं पर नजर रखते हैं। चंद्रमा का वलय आकाश में कुछ घंटों से लेकर 7-8 दिनों तक भी दिखाई दे सकता है। वहीं इसका आकार और रंग बताता है कि यह कितना फलदायी होगा। कुछ ज्योतिषियों का कहना है कि वामिहिर ने ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा की कहानियों का उल्लेख किया है। इसके मुताबिक अगर चंद्रमा के चारों ओर सफेद घेरा दिखाई दे तो भारी बारिश की संभावना होती है। यदि इसका रंग लाल है तो भय गहरा होने की संभावना है। वहीं,अगर इसका रंग नीला है तो यह एक शुभ संकेत माना जाता है। इस बार जो चंद्रमा का वलय दिखाई दिया वह भी नीले रंग का है।
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