India News (इंडिया न्यूज़),Kanwar Yatra 2023: इन दिनों महादेव के अतिप्रिय मास सावन का महीना चल रहा। कांवड़ियें सावन के हर सोमवार पर पवित्र ‘कांवड़ यात्रा’ भी कर रहे है। आपको सावन में केसरिया वस्त्र पहने कंधों पर कांवड़ उठाए सड़कों ‘बम-बम भोले’ के जयकारे लगाते महादेव के भक्त दिखाई दे रहे होंगे। आज अपनी रिपोर्ट में हम बताएँगे क्यों उठाते हैं सावन में ‘कांवड़’। इस यात्रा से जुडी क्या है मान्यता।
मालूम हो, कांवड़ यात्रा काफी कठिन होती है, एक तो ये पैदल होती है और दूसरी आप रास्ते में कहीं भी कांवड़ को जमीन पर भी नहीं रख सकते हैं। बता दें भक्त जो कांवड़ लेकर जाते हैं वो बांस से बनी हुई होती है, जिसके दोनों सिरों पर घड़े बंधे होते हैं, जिसमें वो गंगाजल भरते और उससे शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
-हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक चतुर्मास में पड़ने वाले श्रावण के महीने में कांवड़ यात्रा का बड़ा महत्व है।
-माना जाता है कि शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। उन्हें केवल एक लोटा जल चढ़ा कर प्रसन्न किया जा सकता है। वहीं यह भी मान्यता है कि शिव बहुत जल्दी क्रोधित भी होते है।
-लिहाजा ऐसी मान्यता भी है कि इस कांवड़ यात्रा के दौरान मांस, मदिरा, तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए और न ही कांवड़ का अपमान (ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए) किया जाना चाहिए।
-कांवड़ यात्रा शिवो भूत्वा शिवम जयेत यानी शिव की पूजा शिव बन कर करो को चरितार्थ करती है।
-यह समता और भाईचारे की यात्रा भी है। सावन जप, तप और व्रत का महीना है।
-शिवलिंग के जलाभिषेक के दौरान भक्त पंचाक्षर, महामृत्युंजय आदि मंत्रों का जप भी करते हैं।
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