India News (इंडिया न्यूज़) : भगवान शिव का अतिप्रिय मास सावन का महीना अब धीरे -धीरे समाप्ति की ओर है। इस बार 19 साल के बाद ऐसा संयोग बना कि सावन 59 दिनों का पड़ा है।साथ ही, इस साल सावन में 8 सोमवार पड़े हैं। अब तक तो सावन मास के 5 सोमवार बीत चुके हैं। अब सावन का छठा सोमवार यानि 14 अगस्त को है। ज्योतिष के मुताबिक, छठा सावन सोमवार व्रत बड़ा ही शुभ फलदायी है क्योंकि उस दिन अधिक मास की शिवरात्रि भी है। वहीँ, सावन के सोमवार पर भद्रा के साये में हैं। ऐसे में जानें इस योग में रुद्राभिषेक और पूजा विधि का शुभ समय।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, छठे सावन सोमवार व्रत वाले दिन भद्रा का साया है। उस दिन भद्रा सुबह 10:25 बजे से लग रही है और यह रात 11:32 बजे तक रहेगी। इस भद्रा का वास पृथ्वी लोक पर होगा। इस वजह से आप कोई भी शुभ कार्य न करें क्योंकि उस पर भद्रा का दुष्प्रभाव हो सकता है। जब भद्रा पाताल या स्वर्ग की होती है तो उसे अनदेखा कर सकते हैं, लेकिन पृथ्वी लोक की भद्रा में शुभ कार्य वर्जित हैं।
-सावन के छठे सोमवार पर सुबह स्नान के बाद व्रत और शिवजी की पूजा का संकल्प लें।
-सुबह शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर में जाकर या घर ही शिवलिंग की विधि पूर्वक पूजा अर्चना करें।
-गंगाजल या दूध से शिवजी का अभिषेक करें।
-इसके बाद भगवान शिव शम्भू को को चंदन, अक्षत, सफेद फूल, बेलपत्र, भांग की पत्तियां, शमी के पत्ते, धतूरा, भस्म और फूलों की माला अर्पित करें।
-इसके बाद शिव जी शहद, फल, मिठाई, शक्कर, धूप-दीप अर्पित करें।
-शिव चालीसा का पाठ और सोमवार व्रत कथा का पाठ करें।
-आखिर में शिवलिंग के समक्ष घी का दीपक जलाएं और भोलेनाथ की आरती करें।
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