Sunday, July 7, 2024
Homeदिवालीदिल्ली के पास का ये गांव जहां नहीं जलाया जाता है रावण,...

India News (इंडिया न्यूज़) : पूरा देश नवरात्री के उत्सव में डूबा हुआ है। नवरात्री धीरे -धीरे अब अपने अंतिम चरण में भी पहुंच रही है। अब तो जगह -जगह दशहरे पर रावण धन की तैयारियां शुरू हो गयी है ,हालाँकि, दिल्ली से कुछ ही दूर एक गांव मौजूद है, जो इन परंपराओं से कुछ अलग खड़ा है। बता दें, ग्रेटर नोएडा में मौजुद, बिसरख गांव दशहरा के उत्सव में भाग नहीं लेता है। एक तरफ जहां देश भर के लोग गर्व से रावण का पुतला जलाते हैं। रावण का पुतला जलाना बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है। वहीं, नोएडा का यह यह गांव रावण की मृत्यु पर शोक मनाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के निवासी उसे अपना, एक पुत्र और एक रक्षक मानते हैं।

यहां होती है रावण की पूजा

एक तरफ देशवासी 10 सिर वाले राक्षस पर भगवान राम की जीत का जश्न मनाते हैं। दूसरी तरफ बिसरख निवासी एक अलग लक्ष्य के लिए इकट्ठा होते हैं। वे रावण की निंदा करने के लिए नहीं बल्कि उसकी आत्मा को मोक्ष, जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना करने के लिए पवित्र अग्नि का एक यज्ञ आयोजित करते हैं। रावण के बारे में उनके इस अनोखे विचार इस विश्वास से उपजा है कि वह भगवान शिव का एक प्रबल भक्त था, और इस तरह, बिसरख में उसे अपमानित करने के बजाय सम्मानित किया जाता है।

रावण को मानते हैं अपना पूर्वज

बिसरख के लोग रावण को अपने गाँव का पुत्र, भगवान शिव का एक वफादार भक्त और लोगों का रक्षक मानते हुए उन्हें अपना बताते हैं। यहां के निवासी रावण के साथ एक गहरा संबंध साझा करते हैं। यहां के ग्रामीण रावण दहन समारोह में भाग नहीं लेते हैं। ग्रामीणों की नजर में रावण बुराई पर विजय पाने का प्रतीक नहीं है, बल्कि एक पुत्र, उनके रक्षक और भगवान शिव के भक्त का प्रतीक है और उसे जलाने से निवासियों पर शिव का क्रोध भड़केगा।

यहां रावण की मृत्यु पर मनता है शोक

इसके अलावा बिसरख के निवासी अपने-अपने ढोल की थाप पर मार्च करते हैं, रावण की मृत्यु पर शोक मनाते हैं और उसकी आत्मा की मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

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