Kanjoos Makhichoos: कंजूस… मक्खीचूस… जैसा कि इस फिल्म के नाम से ही पता चल रहा है कि इस फिल्म में किसी ऐसे इंसान की कहानी है जिसकी कंजूसी के दाद दिए जाते हो। आपको बता दे Zee5 पर ये फिल्म आज रिलीज हो गई है। जानकारी के लिए बता दे इस फिल्म में जमुना प्रसाद पांडे की कहानी है। जो अपनी जेब से कंजूस तो जरूर हैं लेकिन दर्शकों को अपनी कॉमेडी से भरपूर हंसाया है।
आपको बता दे ये शख्स इतना ज्यादा कंजूस है कि वो बिजली का बिल बचाने के लिए नदी के किनारे नहाता है, अगरबत्ती को फिर बुझा कर रख लेता है। भिंडी को बाजार से गिन कर घर लाता है। दरअसल उसकी ये छोटी छोटी कंजूसी बहुत मजेदार है। उनकी इस कंजूसी से पूरा घर परेशान है लेकिन इससे दर्शकों को मजा आती है। इसी के साथ बता दे इस फिल्म में कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने इस फिल्म में काम किया है, ये उनकी आखिरी फिल्म है।
आपको बता दे ये लखनऊ के साधारण परिवार पर बनाई गई है। फिल्म में बेटा अपने मां बाप को चारों धाम कराने के लिए पैसे बचाता है। बता दे उसका ये सपना पूरा तो हो जाता है, पर उस दौरान आफत की बारिश होती है।जिसमें बहुत सारे लोग बह जाते हैं। जमुना प्रसाद पांडे के माता पिता भी इसी में कहीं गायब हो गए थे। उनका कुछ पता नहीं चला। इसी बीच सरकार ने 25 दिन से ज्यादा लापता लोगों को मृत घोषिक कर दिया और मुआवजे का ऐलान कर दिया हैं। जमुना प्रसाद मुआवजा ले लेता है लेकिन उसे पूरा पैसा नहीं मिलता है।
बता दे ये घोटाला उसके जैसे और भी कई लोगों को साथ हुआ। जिसके खिलाफ जमुना प्रसाद पांडेने लड़ने का फैसला लिया है। पर्दाफाश कैसे करता है? एक निहायती कंजूस और साधारण परिवार का आम आदमी प्रशासन और बड़े मंत्रियों से कैसे लड़ता है। बस यही इस फिल्म की कहानी है।
इस फिल्म में कुनाल खेमू अपने रोल में खूब जम रहे हैं। उनके लिए ये फिल्म देखी जा सकती है। जमुना प्रसाद पांडे की पत्नी के किरदार में श्वेता त्रिपाठी मासूम सी हाउसवाइफ बनी है। फिल्म में उनका चुलबुला अंदाज पसंद आ रहा है। इसी के साथ गंगा प्रसाद पांडे की भूमिका में पीयूष मिश्रा को देखना भी सुखद है। वो हमेशा अपनी स्क्रीन प्रेजेंस से लोगों को सरप्राइज करते हैं। इसी के साथ बता दे इस फिल्म में राजू श्रीवास्तव एक सरकारी बाबू की भूमिका निभा रही हैं और उन्हें पर्दे पर देखना फैंस को इमोशनल कर देगा।
आपको बता दे विपुल मेहता ने इसे डायरेक्ट किया है। यह फिल्म उनकी डेब्यू फिल्म है। मध्यमवर्गीय परिवार के एक कंजूस आदमी क्या क्या कर सकता है उसे बहुत ही बेहतरीन ढंग से दिखाया गया है। बिना हीरोगिरी कराए जमुना पांडे से साधारण तरीके से उन्होंने एक गंभीर मुद्दे को दिखा दिया है।
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