Saturday, July 6, 2024
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Chhath Puja 2023: नदी, नहर या तालाब किस में खड़े होकर सूर्य देव को जल चढ़ाना है शुभ?

India News (इंडिया न्यूज़), Chhath Puja 2023: लोक आस्था के महापर्व छठ का बिहार में काफी महत्व है। व्रत रखने वाली महिला सूर्य देव को दो बार अर्घ्य देती है। एक शाम को और एक सुबह अर्घ्य के समय। आजकल लोग अपने घर के सामने गड्ढा खोदकर छठ मनाते हैं।

जानिए किस नदी और तालाब में मनाएं छठ?

ऐसा करने वाले व्यक्ति को यह पता होना चाहिए कि यह व्रत किस प्रकार की नदी और तालाब में करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किस नदी और तालाब में छठ पर्व मनाना उचित है और किस स्थान पर अनुचित। इस पर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष डॉ. कुणाल कुमार झा कहते हैं कि गंगा, जमुना, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी, बागमती जैसी नदियां प्राकृतिक नदियां है, ऐसी नदी में छठ का व्रत करना चाहिए।

घर के सामने गड्ढा खोदकर छठ करना अनुचित

आगे ज्योतिषी का कहना है कि जो लोग छठ व्रत के दौरान अपने घर के सामने गड्ढा खोदकर अर्घ्य देते हैं, यह पूरी तरह से अनुचित है। क्योंकि छठ व्रत सूर्य की उपासना का व्रत है और इसमें पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसे में आप प्रभावित बहती नदी या तालाब जहां जाठ को विधिवत पूजा करने के बाद दफनाया गया हो, वहां यह त्योहार मना सकते हैं। जिस तरह से लोग गड्ढे में व्यवहार करते हैं वह पूरी तरह से अनुचित है।

जाने वैज्ञानिक कारण

आगे ज्योतिषी बताते हैं कि इसका एक वैज्ञानिक कारण यह भी है कि सूर्य की लाल किरणें नदी की धाराओं द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं। मनुष्य की आंख नदी से आने वाली लाल किरण को सोख लेता है। जिससे कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है। जैसे हड्डी संबंधी रोग, आंख संबंधी रोग।

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Nidhi Jha
Nidhi Jha
Journalist, India News, ITV network.
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