Guru Nanak Langar: सिख धर्म में गुरु नानक जयंती का पर्व बड़ी धुमधाम से मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और सिख गुरु परंपरा में पहले गुरु थे। हिंदू कैलेंडर अनुसार गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था। इस दिन पूरी दुनिया में गुरु नानक जयंती का पर्व मनाया जाता है।
आपको बता दे सिख धर्म में लंगर का मतलब यह हैं कि बिना किसी भेदभाव, जाति और ऊंच नीच की भावना से एक साथ एक ही रसोई में बना भोजन करना है। यह भोजन निःशुल्क होता है. लंगर की व्यवस्था हर गुरुद्वारे में अनिवार्य रूप से होती है। गुरु नानक देव जी ने कहा था कि “अमीर-गरीब जाती-पाती ऊंचा-नीचा यह सबसे ऊपर भूख है, जो भूखा है उसे खाना खिलाओ”। उन्होंने नारा दिया – “कीरत करो, वंड छको” मतलब “खुद मेहनत करो और सब में बांट कर खाओ”।
बता दे कि सिख धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक बार गुरु नानक देव जी के पिता ने उन्हें व्यापार के लिए कुछ पैसे दिए, जिसके बाद उन्होंने कहा कि वो बाज़ार से सौदा करके कुछ लाभ कमाकर लायें। नानक देव जी इन पैसों को लेकर जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने कुछ भिखारियों और भूखों को देखा, उन्होंने सारे पैसों को भूखों को खिलाने में खर्च कर दिया और खाली हाथ लौट आये। नानक के पिता बहुत नाराज हुए तो नानक देव जी ने बोले कि सच्चा लाभ तो सेवा करने में ही है। गुरु नानक देव की यह परंपरा उनके बाद सभी 9 गुरुओं ने भी बनाये रखा। जो अब भी चल रही है।
आपको बता दे अमृतसर के स्वर्ण मंदिर यानी गोल्डन टेम्पल में दुनिया का सबसे बड़ा लंगर आयोजित होता है। यहां के किचन में हर रोज हजारों लोगों के लिए खाना बनता है। इस जगह पर अमीर-गरीब, छोटे-बड़े, ऊंच-नीच का कोई भेदभाव नहीं है। खास मौकों पर इस किचन में 2 लाख रोटियां तक बनती हैं।
ये भी पढ़े: गुरु नानक ने मक्का की तरफ पैर करके दी थी यह सीख, जानिए क्या थी वह बड़ी सीख