हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान माना जाता है। हिन्दू शास्त्र में गुरु को भगवान के ऊपर का दर्जा दिया गया है। इस साल गुरु पूर्णिमा का ये पावन पर्व बुधवार 13 जुलाई यानी की आज मनाया जा रहा है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा करना एक विशेष महत्व को दर्शाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन साहित्यों की रचना करने महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। वो आदि-गुरु भी माने जाते हैं। यही कारण हैं कि गुरु पूर्णिमा के दिन व्यास जयंती भी मनाई जाती है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार आज के दिन गुरु की पूजा और उनका आदर सम्मान करना एक खास परंपरा है। गुरु पूर्णिमा के दिन दान पूर्ण करना भी श्रेष्ठ माना जाता है। गुरु ही मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है और वह ही सच और गलत का ज्ञान देता है।
सबसे पहले आप स्नान कर ले और इसके बाद त्रिदेव की पूजा करें और फिर गुरु बृहस्पति, महर्षि वेद व्यास और अपने आराध्य गुरु की पूजा करें। गुरु की तस्वीर या पादुका उत्तर दिशा में रखनी चाहिए। यदि गुरु की तस्वीर आपके पास या साथ नहीं है तो आप उनकी चरण पादुका को रख कर धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य, चंदन से भी पूजा कर सकते है। इसके बाद उन्हें मिठाई का भोग लगाएं और उनसे आशीर्वाद लें। यदि आप अपने गुरु से मिल सकते हैं तो उनके पास जा कर उनके चरण छूएं और उनका आशीर्वाद लें। याद रखें गुरु की पूजा हमेशा सफेद या पीले वस्त्र पहन कर ही करें।
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