Corona Vaccine: ब्लड कैंसर पीड़ित लोगों का इम्यून सिस्टम आमतौर पर काफी कमजोर होता है। जिस वजह से वह कोविड का आसानी से शिकार बन जाते हैं। इसके अलावा, कई सारे ऐसे कैंसर ट्रीटमेंट होते हैं, जो पीड़ित लोगों में कोविड-19 वैक्सीनेशन के बाद SARS-CoV-2 के खिलाफ बहुत कम या कोई एंटीबॉडी तैयार नहीं करने देते हैं। दूसरी ओर, वैक्सीनेशन टी सेल्स को एक्टिव कर सकता है, जो लंबे समय तक इम्यून रिस्पांस के लिए जिम्मेदार हैं।
आपको बता दे एलएमयू म्यूनिख के मेडिकल सेंटर-यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रीबर्गैंड के वायरोलॉजिस्ट प्रो. ओलिवर टी. केप्लर के डॉ. एंड्रिया केपलर-हाफकेमेयर और डॉ. क्रिस्टीन ग्रील के नेतृत्व में एक टीम ने मरीजों के इम्यून रिस्पॉन्स का कई महीनों तक अध्ययन के बाद एक डिटेल शेयर किया है। आपको बता दे ये अध्ययन ब्लड कैंसर वाले मरीजों पर किया गया था। जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की तीनों डोज़ लगवाईं थीं। रिजल्ट बताते हैं कि कोरोना वैक्सीनेशन, इन मरीजों को SARS-CoV2 से होने वाली गंभीर बीमारियों से बचाता है।
बता दे स्टडी से मालूम चला कि जो मरीज एंटीबॉडी बना सकते हैं वे हाई क्वालिटी वाले एंटीबॉडी पैदा भी कर सकते हैं। दूसरे वैक्सीनेसन के बाद बनने वाली एंटीबॉडी अलग-अलग तरह के SARS-CoV-2 के वेरिएंट को निष्क्रिय कर देती है। वैक्सीनेटेड लोगों की तुलना में इन मरीजों में यह कैपिसिटी काफी ज्यादा होती है। अलग-अलग तरह के ब्लड कैंसर वाले मरीजों में कोविड-19 वैक्सीनेशन बहुत बड़े स्तर पर ‘न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी’ सहित एंटीवायरल इम्यूनिटी पैदा कर सकता है। नतीजतन बी-सेल लिंफोमा या मल्टीपल मायलोमा वाले मरीजों के लिए बिना किसी रुकावट के कई वैक्सीन डोज़ की सिफारिश की जा सकती है।
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