India News(इंडिया न्यूज़), Pediatric Cancer: पीडियाट्रिक कैंसर ल्यूकेमिया की श्रेणी में आता है और छह महीने से 16 साल की उम्र के बच्चों में ये कैंसर ज्यादा पाया जाता है। इस कैंसर से बहुत लोग अंजान होते है और ये बच्चों में तेजी से फैसता है। ऐसे में आज हम आपको बताने वालें है कि इस कैंसर का आप कैसे पता लगा सकेंगे और समय रहते ही इसका कैसे ईलाज कर सकते है। पीडियाट्रिक कैंसर बच्चों के लिए बहुत खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों पर नजर डालें तो पाएंगे कि हर साल दुनिया भर में 4 लाख नए मामले सामने आते हैं। मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर, चेन्नई के वरिष्ठ हिस्टोपैथोलॉजिस्ट डॉ. आरएम लक्ष्मीकांत के मुताबिक, इस बीमारी के कारण कई बच्चे अपनी जान गंवा देते हैं।
हालांकि इनमें से 80 प्रतिशत बाल कैंसर का इलाज संभव है, लेकिन शीघ्र निदान की कमी, गलत निदान और बहुत देर से निदान के कारण ऐसी बीमारियों में समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसके अलावा इलाज बीच में छोड़ने और पोइजन व दोबारा होने के कारण भी मौत हो सकती है। बच्चों और किशोरों में सबसे आम कैंसर में ल्यूकेमिया (24.7%), ट्यूमर और तंत्रिका तंत्र (17.2%), गैर-हॉकिंग लिंफोमा (7.5%), हॉकिंग लिंफोमा (6.5%), नरम ऊतक सार्कोमा (5.9%) शामिल हैं।
पीडियाट्रिक कैंसर का एक समूह है जो बच्चों और किशोरों को प्रभावित करता है। बच्चों को प्रभावित करने वाले सबसे आम कैंसर में ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर, लिम्फोमा, न्यूरोब्लास्टोमा और हड्डी का कैंसर शामिल हैं। हालांकि, ऐसा क्यों होता है इसका कोई ठोस कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन जेनिटीक मुएटेशन के कारण कोशिका वृद्धि में बदलाव को इसका एक कारण माना जाता है। बचपन में होने वाले कैंसर के कुछ सामान्य लक्षण होते हैं, जिनकी मदद से इनका जल्द से जल्द पता लगाया जा सकता है। वास्तविक बात यह है कि आनुवंशिक परिवर्तनों का अध्ययन किए बिना ट्यूमर का निदान अधूरा है। डॉक्टर इस प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग विभिन्न कार्य करने के लिए करते हैं जैसे-