Robotic Surgery: गाजियाबाद में शुरु हुई रोबोटिक सर्जरी, दिल्ली से कम खर्च में मिलेगी सेवा

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गाजियाबाद: गाजियाबाद में नेहरू नगर स्थित यशोदा अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी शुरू हो गई है। जिससे गाजियाबाद और दिल्ली-एनसीआर की जनता को एक बड़ी राहत मिलने वाली है। दिल्ली में इस रोबोटिक प्रणाली से सर्जरी का खर्च लगभग 2.5 लाख से 3 लाख के बीच आता है, जबकि यशोदा अस्पताल में इस सर्जरी का खर्च महज 80 से 90 हजार के बीच है।

कम समय में हो जाती है सर्जरी

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की कमियों को दूर करके रोबोटिक सर्जरी प्रणाली मरीजों को लाभ पहुंचाएगी। रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम में 3D इमेजिंग, ट्रेमर फिल्टर और आर्टिकुलेट उपकरण होते हैं। इन रोबोट को कंसोल के द्वारा हैंडल किया जाता है। बता दें कि ऑपरेशन थिएटर में ऑपरेशन के वक्त कंसोल पे एक ऑपरेटर होता है। तो वहीं दूसरी तरफ मरीज की तरफ एक सहायक डॉक्टर बड़ी आसानी से इस सर्जरी को सफल बना लेते हैं। जिसमें समय भी कम लगता है। सर्जरी के लिए रोबोट को ऑपरेटिंग मोड में लाने के लिए 10 से 15 मिनट का समय लगता है।

कम दर्द के साथ होती है स्पीडी रिकवरी

डॉ आशीष गौतम द्वारा एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि, ये तकनीक मरीजों की काफी मदद करेगी। रोबोटिक सर्जरी में दर्द भी कम होता है और सर्जरी के बाद स्पीडी रिकवरी देखने को मिलती है। इन रोबोट को अलग अलग कलर कोड दिए हुए है। ताकि कंसोल पे बैठा ऑपरेटर आसानी से उस रोबोट को नियंत्रित कर सके जिसे कमांड देना है।

क्या होती है रोबोटिक सर्जरी?

रोबोटिक सर्जरी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का ही एक विस्तारित संस्करण है। कुछ लोग इसे रोबोटिक सर्जरी की जगह की-होल सर्जरी टर्म के रूप में भी जानते हैं। दरअसल लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में उपकरण आसानी से घूम नहीं पाते हैं, लेकिन रोबोट की बांह में फुलक्रम (Fulcrum) होने के कारण यह शरीर के मुश्किल जगहों पर भी आसानी से सर्जरी कर लेता है। जिसकी मद्द से डॉक्टर जटिल सर्जरी को आसानी से हैंडल कर पाते हैं। डिवाइस एक कंप्यूटरीकृत कंसोल पर बैठे सर्जन के नियंत्रण में होता है। रोगी के शरीर में एक विशेष कैमरा डाला जाता है जिसके जरिए कैमरा ऑपरेटिव क्षेत्र का एक 3डी दृश्य मिलता है। यह संचालित किए जाने वाले अंग के आसपास की नाजुक संरचनाओं को एक विस्तृत दृश्य प्रस्तुत करता है और उनके संरक्षण में मदद करता है। हालांकि रोबोटिक सर्जरी के साथ कुछ रिस्क भी जुड़े होते हैं। जैसे संक्रमण और अन्य कई तरह की जटिलताओं की आशंका बनी रहती है।

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Nikhil Verma

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