Uterus Transplant: ‘मां’ को धरती पर भगवान का दर्जा दिया गया है। भगवान इंसान बनाता है लेकिन उसे जन्म एक मां देती हैं। इस दुनिया में मां की जगह कोई नहीं ले सकता है। एक औरत 9 महीने के इंतजार के बाद अपने बच्चे को जन्म देती है। यह 9 महीना आसान नहीं होता बल्कि काफी मुश्किलों से भरा होता है, पर इन 9 महीने के इंतजार के बाद जब वह बच्चे को गोद में लेती हैं तो उससे ज्यादा खुशनुमा पल कुछ और नहीं हो सकता है। वह सारी दुख तकलीफ भूल जाती हैं।
कई औरतें पैसे की कमी के कारण जिंदगी भर बच्चे का मुंह नहीं देख पाती है वहीं कुछ ऐसी भी हैं जो आइवीएफ और सैरोगेसी की मदद लेती हैं। इन सब के अलावा अगर आपको पता चले कि आप अपने दम पर बच्चे को जन्म नहीं दे सकते तो इससे बड़ा दुख आपके लिए कुछ भी नहीं होता है। लेकिन हाल ही के दिनों में मेडिकल साइंस की शानदार सफलता के कारण औरतों के बांझपन को हटाया जा सकता है।
आपको बता दे इन दिनों महिलाएं ‘यूटरस ट्रांसप्लांट’ के जरिए गर्भधारण कर सकती हैं और अपने बच्चे की हलचल महसूस कर सकते हैं। यूटरस ट्रांसप्लांट खासकर उन महिलाओं के लिए हैं जो हाइपोप्लेसिया से पीड़ित हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे हाइपोप्लेसिमाय में बचपन से ही यूटरस ठीक ढंग से विकसित नहीं होती, या कई बार कई लड़कियों का जन्म से ही दो यूटरस होता है। हाल ही में इस बीमारी से पीड़ित दो महिलाओं का चेन्नई में यूटरस ट्रांसप्लांट किया गया है. जो पूरी तरह से सफल रहा।
आपको बता दे हाल ही में चेक रिपब्लिक के स्पेशलिस्ट सहित डॉक्टरों की एक टीम ने तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के दो लड़कियों का यूटरस ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया है। ‘हेपेटोलॉजी ट्रांसप्लांट’ हेपेटोलॉजी के निदेशक डॉ. जॉय वर्गीज ने गुरुवार को यहां घोषणा की कि मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट सेंटर ग्लेनीगल्स ग्लोबल हेल्थ सिटी में यह मेडिकल उपलब्धि हासिल की है। एशिया की सबसे शानदार हॉस्पिटल की लिस्ट में शामिल हो गई है।
यूटरस ट्रांसप्लांट एक ऐसा तरीका है जिससे हाइपोप्लेसिया से पीड़ित युवा महिलाएं भी अब मां बनने का सपना देख सकती हैं। GGHC के प्रसूति, स्त्री रोग और प्रजनन चिकित्सा विभाग की प्रमुख डॉ. पद्मप्रिया विवेक ने इस बारे में बताते हुए कहा,’हमने डॉ. जिरी फ्रोनेक की विशेषज्ञता के तहत दो एकदम यंग लड़कियों की जिसमें से एक की उम्र 24 साल और दूसरी की 28 साल की है उनका सफलतापूर्वक यूटरस ट्रांसप्लांट किया किया है।’
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