Chanakya Niti: दान के द्वारा हम न केवल धर्म का पालन करते हैं बल्कि समाज का कल्याण कर अपने कर्तव्यों का पालन भी करते हैं। एक अच्छे और सफल जीवन के लिए दान महत्वपूर्ण माना गया है लेकिन दान की महिमा तभी होती है जब उसे नि:स्वार्थ भावना से किया जाए। दान के समय लालसा का भाव पैदा नहीं होना चाहिए नहीं तो उसका परिणाम नहीं मिलता।चाणक्य ने धन की तीन गतियां बताई है जो व्यक्ति के भविष्य से जुड़ी हैं।
दानेन पाणिर्न तु कङ्कणेन स्नानेन शुद्धिर्न तु चन्दनेन ।
मानेन तृप्तिर्न तु भोजनेन ज्ञानेन मुक्तिर्न तु मण्डनेन ।।
आपको बता दे चाणक्य कहते हैं कि धन की तीन गतियां है दान, भोग और नाश। जो मनुष्य धन का उपयोग सिर्फ अपनी ख्वाहिशों को पूरा करने में लगाता है और दान नहीं करता है उसकी समस्त पूंजी का नाश हो जाता है। अपनी कमाई का एक हिस्सा सतकर्मों, लोगों की सेवा, में जरूर लगाना चाहिए। सुख, पुण्य और मोक्ष के लिए दान अति आवश्यक है।
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