Monkeypox Vs Smallpox:
कोविड-19 के बाद अगर किसी बीमारी ने दुनिया के सामने चुनौती रखी है तो वह मंकीपॉक्स है। मंकीपॉक्स का खौंफ पूरी दुनिया में ही बना हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 24 जुलाई 2022 को इस बीमारी को विश्व आपदा घोषित कर दिया गया है। आपको बता दें कि मंकीपॉक्स देखने में स्मॉलपॉक्स की तरह लगते हैं। इसी कारण ज्यादातर लोगों में इस बात को लेकर भ्रम बना हुआ है कि क्या ये बीमारी स्मॉलपॉक्स यानी चेचक का एक रूप है। आपको बता दे कि हमारे देश के कई हिस्सों में चेचक को छोटी-माता निकलना भी कहते हैं। हालांकि वैक्सिनेशन के जरिए चेचक नामक रोग को 1980 के दशक तक पूरी तरह समाप्त कर दिया गया था। लेकिन यह दोनोंं बीमारियां ही काफी अलग है। इस लेख के जारिए हम आपको इन दोनों के अंतर के बारे में बताएंगे।
मंकीपॉक्स और स्मॉलपॉक्स में अंतर
- आपको बता दें कि मंकीपॉक्स और स्मॉलपॉक्स यह दोनों बीमारियां ऑर्थोपॉक्सवायरस वायरस से फैलती हैं और दोनों के लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं। इसी कारण इन्हें पहचाने में समस्या पैदा होती है।
- मंकीपॉक्स की तुलना में स्मॉलपॉक्स अधिक घातक बीमारी है। यानी कि मंकीपॉक्स में जान का उतना खतरा नहीं होता है, जितना की स्मॉलपॉक्स में देखा जाता है। लेकिन मंकीपॉक्स का इलाज भी सही समय पर कतरना जरूरी है, नहीं तो बात बिगड़ सकती है।
- यह दोनों बीमारियां ही संक्रामक रोग हैं और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलती हैं।
- मंकीपॉक्स एक सेल्फ लिमिटेड डिजीज है। यानी कि एक ऐसा रोग जो एक सीमा तक बढ़ने के बाद फिर खुद को कंट्रोल में आने लगता है। इसलिए इस बीमारी में 2 से 4 हफ्ते के बाद खुद ही काफी सुधार देखने को मिलने लगता है। लेकिन यदि समय से इसे रोका नहीं जाए तो स्थिति बिगड़ भी सकती है।
ये भी पढ़े: बढ़ते वजन को लेकर हरनाज ने किया खुलासा, कई बार रो पड़ती थीं हरनाज