Eating in Kadai: अक्सर आपने अपने बड़े-बुजुर्गों से यह सुना ही होगा कि कड़ाही में खाना नहीं खाना चाहिए पर क्या आपको इसके पीछे का कारण पता है? अक्सर हम बुजुर्गों की इस तरह की बातों को नजरअंदाज कर देते हैं और रुढ़ीवादी सोच समझकर हंसी उड़ाने लग जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कड़ाही में खाना न खाना सिर्फ एक कहावत नहीं है, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। जी हां, कड़ाही में खाना खाने से आपके स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। इसलिए बुजुर्ग इसमें खाने से मना किया करते है।
भोजन बनने के बाद अगर तुरंत कड़ाही से खाना नहीं निकाला जाता तो बर्तन में चिकनाई लग जाती थी। ऐसे में राख और मिट्टी से बर्तन धोना मुश्किल हो जाता था। इसके चलते बर्तन में गंदगी जमा होने लगती थी। खाना बनाने वाली कड़ाही में भोजन करना असभ्यता का भी प्रतीक माना जाता था और एक-दूसरे का जूठा भोजन ग्रहण करना भी अच्छा नहीं समझा जाता था।
चिकनाई और लोहे की कड़ाही में खाने की वजह से पेट खराब होने की संभावना होती थी। इसकी वजह से कड़ाही में भोजन न करने की सलाह दी जाती थी।
ऐसा कहा जाता है कि कोई कुंवारा व्यक्ति कड़ाही में भोजन करेगा तो उसकी शादी में बारिश होगी और शादीशुदा व्यक्ति के ऐसा करने पर उसे कंगाली झेलनी पड़ेगी। इस बात को मान्यता का रूप इसलिए दिया गया ताकि लोग कड़ाही में भोजन करने से बच सकें और सफाई का ध्यान रखें। आज भी देशभर में तमाम लोग इसी वैज्ञानिक लाभ की वजह से इस धारणा का पालन करते हैं और कभी भी कड़ाही में भोजन करने की गलती नहीं करते है।
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