India News (इंडिया न्यूज़) : देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार आज बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार,इस दिन सर्वप्रथम पूजनीय गौरी पुत्र गणेश का जन्म हुआ था। ऐसे में गणेश चतुर्थी के दिन लोग गणपति स्थापना के साथ पूरे 11 दिनों तक विघ्नहर्ता की विधिवत पूजा -अर्चना करते हैं। बता दें, गणेश चतुर्थी के दिन कुछ कामों को करना बेहद ही कष्टदाई होता है। जिनमें से एक गणेश चतुर्थी के दिन चांद को न देखना भी सम्मलित है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करना अशुभ माना जाता है। हम अपनी रिपोर्ट में बताएंगे इसके पीछे की क्या वजह है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करने पर भविष्य में कलंक और झूठे आरोप लगने का खतरा बना रहता है। ऐसे में इस दिन भूलकर भी चांद को देखने की गलती करने से बचना चाहिए।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब गणेश जी को गज यानी हाथी का मुख लगाया गया तो वे गजानन कहलाए और माता-पिता के रूप में पृथ्वी की सबसे पहले परिक्रमा करने के कारण अग्रपूज्य हुए और सभी देवताओं ने उनकी स्तुति की पर चंद्रमा मंद-मंद मुस्कुराते रहें क्योंकि उन्हें अपनी सुंदरता पर घमंड था। ऐसे में गणेश जी समझ गए कि चंद्रमा अभिमान में आकर उनका मजाक उड़ा रहे हैं। जिसकी वजह से उन्हें क्रोध आ गया और उन्होंने चंद्रमा को काले होने का श्राप दे दिया।
गणेश जी के श्राप के बाद चंद्रमा को अपनी भूल का एहसास हुआ। तब चंद्रदेव ने भगवान गणेश से क्षमा मांगी। जिसके बाद गणेश जी ने कहा कि सूर्य के प्रकाश को पाकर तुम एक दिन पूर्ण हो जाओगे यानी पूर्ण प्रकाशित होंगे। लेकिन चतुर्थी का यह दिन तुम्हें दण्ड देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। इस दिन को याद कर कोई अन्य व्यक्ति अपने सौंदर्य पर अभिमान नहीं करेगा। जो कोई व्यक्ति भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर कलंक और झूठे आरोप लगेंगे। तभी से कहा जाने लगा कि गणेश चतुर्थी के दिन चांद को देखने की गलती नहीं करना चाहिए।
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