हमारे देश में प्राणायाम को प्राचीनतम धरोहरों में से एक माना जाता है जिसे देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी लोगों ने अपनाया है और इससे होने वाले फायदों को महसूस भी किया है। प्राणायाम योग का अर्थ होता है श्वास को नियंत्रित करना यदि हम दूसरे शब्दो में कहे तो श्वास के आवागमन पर नियंत्रण करने को प्राणायाम कहा जाता हैं। श्वास को गहरा खींचना, रोकना और बाहर निकालना प्राणायाम के कामों में गिना जाता है।
उज्जायी प्राणायाम उन प्राणायाम में से एक है जिन्हें गले की समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। उज्जायी का अर्थ होता है बंधनों से मुक्ति या श्वास के बंधनों से मुक्ति प्राप्त करना। उज्जायी प्राणायाम थायराइड, ब्लडप्रेशर और खर्राटे जैसी बीमारियों से छुटकारा दिलाने में सहायक होता है साथ ही यह मन को शांत और हृदय की गति को भी नियंत्रित करता है।
इस प्राणायाम में आसन पर बैठकर आंखें बंद करके समान रूप से सांस लेते रहना है और धीरे-धीरे अपना पूरा ध्यान गले पर केंद्रित करना है। आपको यह महसूस करना है की आपकी सांस आपके गले से घर्षण करते हुए चल रही हो यानी की आपकी सांस आपकी सांस नली की दीवारों से घिसते हुए आ-जा रही है। जब आपका पूरा ध्यान आपके गले पर केंद्रित हो जाएगा तब आप महसूस करेंगे कि आपको आपकी सांस के आने-जाने की आवाज सुनाई दे रही है।
उज्जायी प्राणायाम को 10 से 20 मिनट लेट कर या खड़े होकर भी कर सकते हैं। उज्जायी प्राणायाम को करते समय आप फेफड़ों में मौजूद सांस को भी महसूस कर सकते हैं। इस योग को नियमित रूप से करने से ह्रदय रोग और माइग्रेन जैसी बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
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