इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली :
दिल्ली में ज्यादातर मौत के पीछे कोरोना महज एक संयोग रहा है। डेथ ऑडिट कमेटी की एक रिपोर्ट में राजधानी के अस्पतालों में मरने वाले मरीजों के जब चिकित्सीय दस्तावेज की जाँच की गई तो पता चला कि बहुत कम लोगों की मृत्यु में कोरोना संक्रमण प्राथमिक कारण मिला।
अधिकांश मृतकों के पीछे कोरोना संक्रमण एक संयोग रहा है। इस साल जनवरी से लेकर अब तक करीब 900 से ज्यादा लोगों की मौत हुई हैं। कमेटी के सदस्य और दिल्ली सरकार के वरिष्ठ डॉक्टर ने यह बताया कि साल 2020 में कोरोना से मरने वालों के पीछे कारणों को पता करने के लिए डेथ ऑडिट कमेटी बनाई गई थी। कमेटी के पास सभी प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों से जानकारी जमा होती है और फिर उनके चिकित्सीय कागजों की समीक्षा के आधार पर तय किया जाता है कि उक्त के पीछे संक्रमण सीधे तौर पर कारण है अथवा नहीं।
पता चला है कि कि साल 2020 और 2021 में स्थिति कुछ और थी लेकिन इस साल से लगातार देख रहे हैं कि अस्पतालों में मरने वालों में कोरोना केवल एक संयोग के रूप में ही दिखाई देता है। चिकित्सीय आधार पर देखें तो लोगों की मौतें दूसरी बीमारियां या कारणों के चलते भी हुई हैं।
कमेटी के अनुसार, इस साल में 13 जनवरी से 3 फरवरी के बीच 691 लोगों की मौत हुई। इनमें से 152 मौतें सीधे तौर पर कोरोना संक्रमण से जुड़ी हुई हैं, लेकिन 530 लोगों की मौत में कोरोना मुख्य कारण नहीं दिखे है। इस दौरान नौ ऐसी भी मौतें दर्ज हुई थी, जिन्हें ट्रॉमा सेवा के लिए भर्ती किया गया था। इन हादसे में घायल, आग में झुलसे इत्यादि केस से जुड़े हैं।
डॉक्टरों के अनुसार, साल 2020 और 2021 के अलावा इस साल जनवरी के चलते हर सप्ताह में औसतन 25 से 35 लोगों की मौत दर्ज की गईं। 9 से 15 फरवरी के बीच 69 लोगों की मौत हुई, इसके बाद संक्रमण के साथ मौते कम होती चली गई। बीते तीन मार्च से हर सप्ताह दिल्ली में औसतन दो से तीन लोगों की मौत दर्ज की गईं है। 13 से 18 अप्रैल के बीच दो लोगों की मौत हुई है। इन आंकड़ों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि टीकाकरण के जरिए संक्रमण काफी हल्का हुआ है। साथ ही मौत का जोखिम भी कम हुआ है।
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