नई दिल्ली: सेना भर्ती के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाई गई अग्निपथ योजना के खिलाफ आंदोलन कम होने के बाद वकील एम एल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट कि तरफ कदम बढ़ाया है। सुप्रीम कोर्ट भी सुनवाई के लिए राजी हो गया है। दायर याचिका में कहा गया कि दो साल से वायुसेना में भर्ती का इंतजार कर रहे लोगों को आशंका है कि उनका 20 साल का करियर चार साल में सिमट कर रह जाएगा।
इस याचिका में आगे कहा गया है कि 70 हजार से अधिक छात्रों को साल 2017 में ट्रेनिंग दी। ट्रेनिंग के बाद छात्रों को विश्वास दिलाया गया कि भर्ती पत्र जारी किया जाएगा लेकिन इस योजना के आने के बाद से इनका करियर दांव पर लग गया। वहीं वकीलों की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच सुनवाई के लिए तैयार हो गई। बेंच ने कहा कि अगले सप्ताह याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
फिलहाल भर्ती प्रक्रिया तीनों सेनाओं में जारी है। थलसेना में भर्ती प्रक्रिया जहां 1 जुलाई से शुरू हो गई वहीं वायुसेना में इससे पहले 24 जून वहीं नौसेना में 25 जून से शुरू हो गई। इस भर्ती में 17.5 वर्ष से 21 वर्ष तक के उम्मीदवार हिस्सा ले सकेंगे। हालांकि, अब आयु सीमा बढ़ाकर 23 साल कर दी है। इस भर्ती की सीमा चार सालों की होगी। इसके बाद परफॉर्मेंस देखकर 25 फीसदी कर्मियों को वापस रेगुलर कैडर के लिए नामांकित कर दिया जाएगा।
सशस्त्र बलों में उम्मीदवारों को आगे नामांकन के लिए चुने जाने का कोई अधिकार नहीं होगा। मेडिकल ट्रेडमैन को छोड़कर भारतीय वायु सेना के नियमित कैडर में एयरमैन के रूप में नामांकन केवल उन्हीं कर्मियों को दिया जाएगा, जिन्होंने अग्निवीर के रूप में कार्यकाल पूरा कर लिया हो।
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