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Amarnath Yatra: तीसरे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, जानिए पहाड़ों पर क्यों होती हैं बादल फटने की घटनाएं

• LAST UPDATED : July 10, 2022

Amarnath Yatra: अमरनाथ की गुफा के पास में बादल फटने की घटना वाकई दिल दहला देने वाली है। इस घटना में अब तक 16 लोगों की मौत हो गई है, 65 से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती हैं तो वहीं 41 लोग अभी भी लापता बताये जा रहे हैं। लगातार मौके पर जम्मू कश्मीर पुलिस, राष्‍ट्रीय आपदा राहत बल, भारत तिब्‍बत सीमा पुलिस और सैन्‍यबल तलाश और बचाव कार्य चला रही है।

स्‍वास्‍थ्‍य सेवा कर्मचारियों की छुट्टी रद्द

दरअसल शुक्रवार को अमरनाथ में बादल फटने की वजह से पानी भर गया जिसके कारण इतना बड़ा हादसा हुआ। मरने वालों में 7 पुरूष, 6 महिलाएं और 2 अज्ञात शव शामिल हैं। घटना के चलते पहलगाम और बालतल दोनों स्‍थानों से यात्रा अस्‍थायी रूप से स्‍थगित कर दी गई। वहीं स्‍वास्‍थ्‍य सेवा के निदेशालयों ने अपने कर्मचारियों की छुट्टिया भी रद्द कर दी गई।

पहाड़ों पर ही क्यों होती है बादल फटने की घटना?

ये कोई पहली घटना नहीं जब बादल फटने या भारी बारिश के कारण लोगों ने अपनी जान गवाई हो, इससे पहले भी हजारों लोग बादल फटने की घटना का शिकार बन चुके हैं, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर ये बादल फटने की घटना सबसे ज्यादा पहाड़ों पर ही क्यों होती है? आइए आपको बताते हैं…

निचले स्थानों को होता है ज्यादा नुकसान

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश ऐसे दो राज्य हैं जहां पर प्राकृतिक आपदाएं जैसे बादल फटना और भारी बारिश होने की घटनाएं आम बात है। अधिक ऊंचाई होने के कारण भूसखलन और पहाड़ टूटने की घटनाएं अक्सर होती रहती हैँ। ऊपरी इलाकों में बादल फटने और उसकी वजह से पहाड़ टूटने के कारण सबसे ज्यादा नुकसान निचले क्षेत्रों को झेलना पड़ता है। क्योंकि पहाड़ के ऊपर से आता पानी अपने साथ पहाड़ के मल्बे को भी अपने साथ बहाकर तेज वेग के साथ नीचे की तरफ ले आता है।

घटना को कहते हैं क्लाउड बर्स्ट

जानकारी हो कि बादल फटने का मतलब बादल के दो टुकड़े होना नहीं होता है। मौसम विभाग के अनुसार जब किसी जगह पर एक साथ भारी बारिश हो जाए तब उसका मतलब बादल फटना होता है। इसे आप पानी से भरे गुब्बारे के उदाहरण से आसानी से समझ सकते हैं। जब पानी से भरे गुब्बारे को फोड़ दिया जाए तो सारा पानी एक ही जगह पर तेजी से नीचे गिरता है, ठीक ऐसा ही बादल के साथ भी है। इस घटना को क्लाउड बर्स्ट और इस घटना को अंजाम देने वाले बादलों को प्रेगनेंट क्लाउड कहते हैं।

अधिक ऊंचाई पर होती है ज्यादा घटनाएं

अब आते हैं इस सवाल पर कि आखिर पहाड़ों पर ही बादल फटने की घटनाएं क्यों होती हैं। उसके लिए बता दें कि एक कुछ परिस्थियों में होता है, जैसे कि बादल पहाड़ों की ऊंचाई ज्यादा होने की वजह से आगे नहीं बढ़ पाते और कुछ ही सेकेंड में एक जगह पर 2 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है। ऐसा अक्सर 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर ज्यादा होता है, भारी बारिश के कारण पानी का सैलाब बन जाता है जो तेजी से नीचे आते वक्त अपने साथ मिट्टी, कीचड़ और पत्थर को तेज वेग के साथ नीचे धकेलते हुए ले आता है। इसकी स्पीड इतनी तेज होती है कि अपने सामने आने वाली हर चीज को ये तबाह कर देता है। यही कारण है कि पहाड़ों पर बादल फटने की प्राकृतिक घटनाएं ज्यादा होती हैं।

अमरनाथ घटना पर बोले IMD के महानिदेशक

वहीं अमरनाथ में हुई घटना की बात कि जाए तो आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने मामले में बताया, कि “अमरनाथ गुफा मंदिर के पास पहाड़ों के ऊंचे इलाकों में बारिश के कारण अचानक बाढ़ आ सकती है।” उनके अनुसार, एक बारिश की घटना को बादल फटने के रूप में वर्गीकृत किया जाता है यदि एक मौसम स्टेशन एक घंटे में 100 मिमी बारिश होती है।

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