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Article 370: कौन हैं सुप्रीम कोर्ट के वो पांच जज, अपने फैसले में क्या-क्या लिखा?

• LAST UPDATED : December 11, 2023

India News, (इंडिया न्यूज), Article 370 : सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने सोमवार (11 दिसंबर) को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद -370 को हटाए पर केंद्र सरकार के फैसले को उचित ठहराया है। बता दें, CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्टिकल 370(3) की शक्तियों के तहत राष्ट्रपति का फैसला सही था और इस पर सवाल खड़े करना ठीक नहीं है।

संविधान पीठ ने दिए तीन फैसले

CJI ने कहा कि इस मुद्दे पर पांच सदस्यीय पीठ ने तीन फैसले दिए हैं। एक फैसला सीजेआई, जस्टिस गवई और जस्टिस सूर्यकांत का था। वहीँ, जबकि जस्टिस किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने अलग-अलग फैसले दिए थे। बता दें, तीनों फैसले अलग-अलग थे, हालाँकि, तीनों का निष्कर्ष एक ही था।

इन पांच जजों की बेंच ने सुनाया फैसला

मालूम हो, CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। इसमें सर्वोच्च न्यायालय के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल रहे।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कही यह बात

बता दें,अपने फैसले में CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जम्मू- कश्मीर में राष्ट्रपति की घोषणा की वैधता पर फैसला देने की जरुरत नहीं है,क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने इसे चुनौती नहीं दी है। इसके आगे सीजेआई ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना, यह संविधान के अनुच्छेद एक और 370 से स्पष्ट है। उसके पास देश के अन्य राज्यों से अलग आंतरिक संप्रभुता नहीं है।

जस्टिस संजय किशन कौल ने यह कहा

वहीँ, CJI चंद्रचूड़ से सहमति जताते हुए जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा ‘ आर्टिकल 370 का मकसद जम्मू कश्मीर को धीरे-धीरे अन्य भारतीय राज्यों के बराबर लाना था। उन्होंने सरकार और सरकार से इतर तत्वों द्वारा मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच के लिए सच और सुलह आयोग बनाने का आदेश दिया। इसके अलावा आर्टिकल 367 के संशोधन को पिछले दरवाजे के रूप में उपयोग करना गलत था। अनुच्छेद 356 लगाया जा सकता है और यह केंद्र या राष्ट्रपति को राज्य विधानमंडल पर गैर-विधायी कार्य करने से नहीं रोकता है।

जस्टिस संजीव खन्ना ने क्या कहा

बता दें, जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हमारे पास केवल दो फैसले हैं। अनुच्छेद 367 में संशोधन करना, जो सीओ 272 के तहत कानून की दृष्टि से गलत था। हालांकि, वही उद्देश्य 370(3) द्वारा प्राप्त किया जा सकता था और इस तरह सीओ 273 को सही माना जाता है।

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