India News(इंडिया न्यूज़), Ayodhya: सालों बाद राम भक्तों का सपना सच होने जा रहा है। अब राम भक्त भगवान राम की पूजा उनकी जन्मस्थली पर ही कर सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने वर्षों पुराने इस सपने को साकार किया। जो 22 जनवरी 2023 को साकार होगा। जब इस भव्य मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की जायेगी। उस ऐतिहासिक दिन का गवाह बनने से पहले ये भी जान लीजिए कि राम लला की जन्मस्थली पर पूजा कैसे शुरू हुई। प्राचीन काल में उनकी पूजा कैसे की जाती थी और अब जो मंदिर बन रहा है वह पहले की तुलना में कितना भव्य होगा?
मान्यता है कि भगवान की नगरी अयोध्या की स्थापना सत्ययुग में वैवस्वत मनु ने की थी। कई वर्षों तक अयोध्या में राम राज कायम रहा। इसके बाद माना जाता है कि भगवान श्री राम ने स्वयं जल समाधि ले ली थी। कई वर्षों के बाद उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य इस धरती पर पहुंचे। पौराणिक कथाओं के अनुसार,उन्होंने जमीन पर कुछ चमत्कारी घटना घटती देखी। जिसके बाद उन्होंने उस जगह का इतिहास जाना और उस पर शोध किया। तब उन्हें यहां श्रीराम की उपस्थिति के प्रमाण मिले। जिसके बाद उन्होंने काले कसौटी पत्थरों से 84 खंभों वाला एक मंदिर बनवाया। इसके बाद उनके राज्य में कई राजा आये और गये। भारत में मुगलों का शासन 14वीं शताब्दी में शुरू हुआ। वर्ष 1525 में मुगल शासक बाबर के सेनापति मीर बांकी ने राम जन्मभूमि पर बने प्राचीन मंदिर को तोड़कर वहां एक मस्जिद का निर्माण कराया।
इसके बाद अंग्रेजों के समय से ही राम जन्मभूमि विवाद चलता रहा। जिस पर आखिरकार मंदिर बनने जा रहा है। कुछ ही दिनों में प्राण प्रतिष्ठा हो जायेगी। राम मंदिर के लिए कुल 67 एकड़ जमीन दी गई है। इस जमीन में से 2 एकड़ जमीन पर भव्य मंदिर बनाया जा रहा है। शुरुआत में मंदिर पर बनने वाले शिखर की ऊंचाई 128 फीट तय की गई थी, जो बाद में 161 फीट हो गई। अब तीन की जगह पांच गुंबद वाले मंदिर होंगे और एक मुख्य शिखर दिखाई देगा।
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