India News(इंडिया न्यूज), BJP election strategy: कर्नाटक चुनाव परिणाम के बाद बीजेपी ने आगामी राज्यों को लेकर अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव करने का फैसला किया है। बता दें कि इस साल के अंत में चार अहम राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में चुनाव हो रहे हैं। इनमें से केवल मध्य प्रदेश में बीजेपी सत्ता में है। वहीं राजस्थान में दो कांग्रेस नेताओं के तकरार के बीच सत्ता में वापस आने के लिए चुनावी रणनीतियों को काम कर रही है।
रणनीति में बदलाव के लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि बीजेपी ने सभी चार राज्यों में नेतृत्व के मुद्दे और उम्मीदवारों को तय करते समय जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखने का फैसला किया है। यह कर्नाटक से एक कठिन सबक था, जहां बीएस येदियुरप्पा को शीर्ष पद से हटाने और जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सदावी को टिकट देने से इनकार करने के फैसले ने लिंगायतों को कांग्रेस की ओर धकेल दिया।
सूत्रों ने कहा कि जरूरत पड़ने पर पार्टी छोटे दलों के साथ चुनावी गठबंधन के लिए भी तैयार है। ऐसी अटकलें हैं कि कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी के साथ गठबंधन करने से बीजेपी को कुछ सीटों पर मदद मिलती।
केंद्रीय नेताओं और राज्य के मुख्यमंत्रियों पर अत्यधिक निर्भरता के बजाय स्थानीय नेताओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा। स्थानीय नेताओं को अभियान चलाने की अनुमति देना कांग्रेस के लिए अच्छा रहा।
सूत्रों ने कहा कि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पार्टी का चेहरा बने रहेंगे लेकिन उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर और बीडी शर्मा जैसे अन्य नेताओं को अपने साथ लेने के लिए कहा जाएगा। सिंधिया और उनके करीबी जो 2020 में बीजेपी में शामिल हो गए, इस प्रक्रिया में कमलनाथ सरकार को पछाड़ते हुए उन्हें बाहरी लोगों के रूप में देखा गया। टिकटों का वितरण कलह से भरी प्रक्रिया रही है।
राजस्थान में, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे – जिन्हें केंद्रीय नेतृत्व के साथ तालमेल से बाहर देखा जाता है, उनको वरीयता दी जाएगी। लेकिन किरोड़ी लाल मीणा, गजेंद्र सिंह शेखावत, सतीश पूनिया और अन्य जैसे विभिन्न जाति समूहों से संबंधित राज्य के नेताओं को भी महत्व दिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल, अरुण साव को महत्व दिया जाएगा और तेलंगाना में बंदी सजय, ई राजेंद्रन, जी किशन रेड्डी पार्टी के प्रमुख चेहरे होंगे।
सूत्रों ने कहा कि राज्य के नेताओं से उनके मतभेदों को दूर करने और पार्टी का एकजुट चेहरा पेश करने के लिए कहा जाएगा।
साथ ही जनाधार वाले वरिष्ठ नेताओं को चुनावी रणनीति तैयार करने में लगाया जाएगा। मध्य प्रदेश में सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल रहेगा। ग्राउंड लीवर वर्कर्स को महत्व दिया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि मुद्दों, वादों और रणनीति को तय करने में उनकी प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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