बता दें, मोदी सरकार ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त, निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति विधेयक पिछले मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पेश किया था। इस विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक, मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों का वेतन एवं भत्ते कैबिनेट सचिव के बराबर होंगे। वहीँ, दर्जा बदलने के बावजूद चुनाव अधिकारियों का वेतन पहले के जितना ही रहेगा। लेकिन मौजूद विधेयक के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त कैबिनेट सचिव के समान होंगे, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर नहीं। इसके अलावा इस विधेयक में यह क्लियर है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों का कार्यकाल उनके पदभार ग्रहण करने से छह वर्ष तक के लिए या उनके 65 वर्ष की आयु पूरा करने या इनमें से जो पहले हो, लागू होगा।
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