India News (इंडिया न्यूज़): एल्डरमैन की नियुक्ति को चुनौती पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर एलजी को एमसीडी मे मनोनयन का मौका मिलता है तो वह एक निर्वाचित एमसीडी को अस्थिर कर सकते है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पिछले 30 सालों में यह पहला मौका है जब एलजी ने बिना दिल्ली सरकार की सहमती के अपनी मर्जी से एल्डरमैन नियुक्त किए हैं. हालंकि कोर्ट ने फिलहाल दिल्ली सरकार की याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है.
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस टिप्पणी पर सहमति जताई. सिंघवी ने कहा कि जिन वार्ड कमेटी में बीजेपी कमजोर स्थिति में है,उन्हीं में ही एलजी ने एल्डरमैन नियुक्त किए हैं. सिंघवी ने दिल्ली बनाम केंद्र सरकार विवाद से जुड़े दो पुराने फैसलों का भी हवाला दिया.
उन्होंने कहा कि पिछले तीस सालों में ये परंपरा चली आ रही है कि एलजी ने दिल्ली सरकार की सलाह -शिकायत के बिना एल्डरमैन नियुक्त नहीं किए. इस पर ASG संजय जैन ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि ये परंपरा सालों से चली आ रही है, इसका मतलब ये नहीं कि ये ठीक ही हो.
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एलजी ऑफिस की ओर एएसजी संजय जैन ने कहा कि अनुच्छेद 239AA के तहत केंद्रशासित प्रदेस दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली बनाया गया और दिल्ली के लिए विधानसभा की व्यवस्था की गई. अनुच्छेद 239AA के तहत एलजी की भूमिका और डेल्ही म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एक्ट के तहत प्रशासक के रूप में एलजी की भूमिका अलग है.