CJI on Constitution:शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ महाराष्ट्र के नागपुर में लॉ यूनिवर्सिटी के छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कई अहम बातें कही। चीफ जस्टिस ने अपने संबोधन में कहा कि प्रस्तावना संविधान का एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें कहा गया है कि ‘हम, भारत के लोग खुद को यह संविधान देते हैं’। यह भारत के लोगों के ‘विषयों’ की स्थिति से ‘नागरिकों’ की स्थिति में परिवर्तन को चिह्नित करता है। भविष्य के जजों को सीजेआई संबोधित करते हुए कहा कि मुझे आपको चेतावनी देनी चाहिए कि कुछ न कहना या न करना शायद अधिक सुरक्षित या कम जोखिम भरा विकल्प है, लेकिन जिस विकल्प के साथ हमें आगे बढ़ता चाहिए वो है बदलाव लाना, कानून और समाज को न्याय के साथ जोड़ने का प्रयास करना।
नागपुर में महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘संविधान एक ऐसा दस्तावेज है जो स्वशासन, गरिमा और स्वतंत्रता का उत्पाद है, और यह बोलने की साहस देता है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस नेक पेशे को अपनाते हुए सभी को भारतीय संविधान के मूल्यों को बनाए रखना चाहिए और हमें इन अधिकारों के लिए बोलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह नहीं भूलाया जा सकता है कि संविधान ने हर एक नागरिक को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय लाने की जिम्मेदारी दी है। हमें इन अधिकारों के लिए बोलना होगा। यही नहीं उन्होंने कहा कि युवा वकीलों से न्याय के लक्ष्य को हासिल करने के लिए निडर होकर बदलाव की आवाज उठाने के लिए कहा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि यथास्थिति को बनाए रखने के लिए एक लाख बहाने खोजना आसान है, क्योंकि कानून अपनी प्रकृति से सुस्त है, लेकिन जब आप चौराहे पर हों तो कम यात्रा करने वाले रास्ते को चुनने में संकोच ना करें।