इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली :
कोयले की तीव्र कमी के साथ भीषण गर्मी ने पूरे भारत में ब्लैकआउट शुरू कर दिया है। जम्मू-कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक हजारों लोग रोजाना आठ से 12 घंटे तक बिजली कटौती से जूझ रहे हैं। पिछले साल की तरह बिजली संकट की आशंका जताते हुए कई राज्य बिजली की मांग को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर तापमान भी झुलसा रहा है।
दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को छू रहा है, बिजली की मांग अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच रही है। देश भर में कोयले की कमी है। आपको बता दें भारत की लगभग 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन करने के लिए कोयले का इस्तेमाल किया जाता है।
मीडिया रिपोर्ट में सामने आई जानकारी के अनुसार देश में बिजली की कुल कमी 623 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई है। 27 अप्रैल को बिजली की पीक डिमांड 200.65 गीगावॉट थी, और पीक पावर की कमी 10.29 गीगावॉट थी। वहीं यदि आपके मन में भी यह सवाल है कि कोयले से बिजली कैसे बनती है तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि कैसे कोयले से बिजली बनती है।
सबसे पहले कोयले को पीस कर पाउडर बनाया जाता है। जिसका इस्तेमाल बॉयलर के पानी को गर्म करने के लिए किया जाता है। जिससे की पानी हाई-प्रेशर स्टीम में तबदील हो जाए। फिर बनी हुई स्टीम से टबाइन को भाप से घुमाया जाता है, जिसे जनरेटर से जोड़ा होता है। टबाइन के घूमते ही जनरेटर में मेग्नेटिक फील्ड प्रोड्यूस होती है और जिससे कि से बिजली बनती है।
रूस यूक्रेन युद्ध के चलते कोयले के आयात पर असर पड़ा है। इसके अलावा बताया जा रहा है कि झारखंड में कोल कंपनियों को बकाया पेमेंट न देने के चलते कोयला संकट पैदा हुआ है। इस संकट के बढ़ने का एक और कारण कोयले आयात का कम होना है। भारत दुनिया में कोयले के आयातको में दूसरे नंबर पर आता है।
जबकि भारत पिछले कुछ वर्षों से लगातार अपना आयात कम करता जा रहा है। वहीं घरेलू कोयला सप्लायर्स ने उत्पादन को उतनी तेज़ी से नहीं बढ़ाया है जिसके कारण सप्लाई गैप पैदा हो गया। सरकार अब इस गैप को चाहकर भी पूरा नहीं कर सकती ।
जम्मू और कश्मीर में, रमजान के दौरान अनिर्धारित और लंबे समय तक बिजली कटौती ने नागरिकों को परेशान कर दिया है। बिजली विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अप्रैल में आपूर्ति लगभग 900 से 1,100 मेगावाट थी, जबकि मांग 1,600 मेगावाट थी।
कश्मीर पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (केपीडीसीएल) के अनुसार, 1600 मेगावाट की मांग के मुकाबले अप्रैल के दौरान दिया गया लोड लगभग 900 से 1,100 मेगावाट रहा है, जिससे घाटा पैदा हुआ है।
हरियाणा में बिजली की कमी 300 मेगावाट से अधिक है वर्तमान में 8,100 मेगावाट की दैनिक मांग के मुकाबले। बिजली मंत्री रंजीत सिंह चौटाला के मुताबिक अगले कुछ दिनों में उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली मिल जाएगी। इस बीच, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी आश्वासन दिया है कि बिजली कटौती के मुद्दों को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।
तलवंडी साबो और रोपड़ थर्मल प्लांट के बंद होने के कारण पंजाब एक गंभीर बिजली संकट में फंसा हुआ है। लुधियाना, पटियाला और मोहाली समेत कई इलाके लगातार कट का सामना कर रहे हैं। कथित तौर पर, राज्य के पांच थर्मल प्लांटों में 5,680 मेगावाट की संयुक्त स्थापित क्षमता के मुकाबले केवल 3,327 मेगावाट बिजली पैदा की जा रही है। वहीं पंजाब के होशियारपुर में अनियमित बिजली आपूर्ति के विरोध में किसानों ने वाहनों की आवाजाही रोक दी है।
मांग में अचानक वृद्धि के कारण बिहार प्रति दिन 200-300 मेगावाट बिजली की कमी का सामना कर रहा है क्योंकि राज्य भीषण गर्मी की चपेट में है। राज्य के ऊर्जा विभाग के सचिव संजीव हंस के अनुसार, राज्य की खपत लगभग 6,000 मेगावाट प्रति दिन है, जबकि विभिन्न स्रोतों से बिजली की उपलब्धता केवल 5,000 से 5,200 मेगावाट है।
उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार ने उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर में गैस से चलने वाले बिजली संयंत्र के बंद होने को जिम्मेदार ठहराया है। मुख्यमंत्री पुष्खर सिंह धामी ने अधिकारियों को विशेष रूप से औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली संकट का जल्द से जल्द समाधान खोजने का निर्देश दिया है।
राजस्थान में बिजली की मांग में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे प्रतिदिन पांच से सात घंटे बिजली की कटौती हो रही है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। राजस्थान के वनस्थली में बुधवार को अधिकतम तापमान 45.4 डिग्री सेल्सियस जबकि बीकानेर और फलोदी में 45.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
उत्तर प्रदेश भीषण गर्मी की चपेट में है और कुछ शहरों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री से अधिक दर्ज किया गया है। भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में जहां बिजली की मांग लगभग 23,000 मेगावाट है, वहीं आपूर्ति केवल 20,000 मेगावाट है।
3,000 मेगावाट की कमी के कारण अब ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में लोड शेडिंग हो रही है। राज्य बिजली विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धारित 18 घंटे के मुकाबले प्रतिदिन औसतन 15 घंटे बिजली की आपूर्ति की जा रही है।
इसी प्रकार नगरों में निर्धारित 21 घंटे 30 मिनट के मुकाबले प्रतिदिन औसतन 19 घंटे बिजली की आपूर्ति की जा रही है, जबकि तहसील मुख्यालयों में 21 घंटे 30 मिनट के मुकाबले 19 घंटे 50 मिनट की आपूर्ति की जा रही है। हालांकि जिला मुख्यालयों पर 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जा रही है।
आंध्र प्रदेश में प्रतिदिन 210 मिलियन यूनिट की मांग की तुलना में लगभग 50 मिलियन यूनिट बिजली की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। राज्य के ऊर्जा सचिव बी श्रीधर के अनुसार, मौजूदा संकट अप्रैल के अंत तक कम हो सकता है ।
महाराष्ट्र अप्रैल की शुरुआत से लोड शेडिंग से निपट रहा है क्योंकि हीटवेव की स्थिति बनी हुई है। राज्य 3,000 मेगावाट बिजली की कमी से जूझ रहा है। मंगलवार की सुबह, मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में – ठाणे, मुलुंड, अंबरनाथ, बदलापुर और डोंबिवली सहित, पड़घा में 400 केवी सब-स्टेशन में ट्रिपिंग के कारण बिजली की आपूर्ति प्रभावित हुई।
मध्य प्रदेश 11,875 मेगावाट बिजली की आपूर्ति कर रहा है, जबकि इसकी अधिकतम मांग 12,150 मेगावाट है। एमपी के लोड डिस्पैच सेंटर (एसएलडीसी) के मुख्य अभियंता केके प्रभाकर ने कहा कि वर्तमान में राज्य में कोई निर्धारित लोड शेडिंग नहीं है और थर्मल पावर प्लांटों को कोयले की आपूर्ति में कोई समस्या नहीं है।
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