Delhi Bank News: इंडियन बैंक ने महिलाओं की भर्ती को लेकर कुछ निर्देश जारी किए थे, जो अब इंडियन बैंक ने अपने भेदभाव पूर्ण दिशानिर्देशों को वापस ले लिया है। उन भेदभाव पूर्ण दिशानिर्देशों में कहा गया था कि महिला के 3 महीने गर्भवती होने पर उसे अस्थायी तौर पर अयोग्य माना जाएगा। बैंक द्वारा उसे तुरंत जॉइनिंग नहीं दी जाएगी। दिल्ली महिला आयोग ने इंडियन बैंक इस फैसले का स्वागत किया है। आयोग का कहना है कि इस प्रकार के भेदभाव पूर्ण दिशा निर्देशों को वापस लिए जाने की मांग की गई थी।
इतना ही नहीं आयोग ने भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को भी पत्र लिखा था जिसमें बैंक में भर्ती को लेकर इस प्रकार के दिशा निर्देशों पर कड़े कदम उठाए जाने की बात कही गई थी। लेकिन अब बैंक ने गर्भवती महिलाओं को अनफिट करार देने वाले भेदभाव पूर्ण दिशा निर्देश को वापस ले लिया है। इतना ही नहीं बैंक के फिटनेस प्रमाण पत्र में केवल महिला विशिष्ट गर्भाशय/स्तन रोग की मांग की गई थी उसे भी अब बैंक ने वापस ले लिया है।
आयोग के मुताबिक इंडियन बैंक ने कथित तौर पर महिलाओं की भर्ती को लेकर एक अजीबोगरीब दिशा निर्देश जारी किए थे। जिसके बाद आयोग ने इस मामले को लेकर तुरंत संज्ञान लिया था। इस भेदभाव पूर्ण दिशा निर्देश को वापस लेने के लिए इंडियन बैंक को नोटिस जारी किया गया था लेकिन आयोग के नोटिस के बाद भी इस दिशा निर्देश को वापस नहीं लिया गया था, जिसके बाद बैंक के महाप्रबंधक को आयोग में समन जारी किया था।
आयोग द्वारा जब बैंक को नोटिस जारी किया गया था तो बैंक ने यह जवाब दिया था कि गर्भावस्था की स्थिति में महिला उम्मीदवारों के शामिल होने के लिए उनके द्वारा कोई नए दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। बल्कि भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा जो मौजूदा दिशा निर्देश है, उन्हीं का पालन किया गया है। जिसके बाद आयोग ने इसकी जांच पड़ताल की और पाया कि भारत सरकार द्वारा जो दिशा निर्देश 1958 में 12 सप्ताह की गर्भवती महिला की भर्ती और स्थायी रूप से अयोग्य मानी जाने वाला रूल था, उसे 1985 में संशोधित कर दिया गया था।
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