Mohan Bhagwat on Dr. Bhimrao Ambedkar:राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने विभिन्न जातियों और संप्रदायों के बीच शुक्रवार को डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर एकता का संदेश दिया। आरएसएस प्रमुख गुजरात के अहमदाबाद में समाजशक्ति संगम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘पहले हम एक थे, लेकिन हम जातियों के रूप में विभाजित हुए और इस विभाजन को विदेशियों ने और बढ़ा दिया, लेकिन अब देश के विकास के लिए, हमें फिर से एक होना होगा।”
आरएसएस प्रमुख ने आगे डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के जन्म का जिक्र करते हुए कहा, “… बड़ी चीजें एक बार हो जाने के बाद देखी जा सकती हैं, लेकिन जब काम शुरू होता है तो कोई भी इसे नोटिस नहीं करता है … डॉ बाबासाहेब अंबेडकर का जन्म एक ऐसी घटना थी। उस समय किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया होगा लेकिन हम बदलाव देख सकते हैं। डॉ. बाबासाहेब नहीं रहे लेकिन वह बदलाव अभी बाकी है। हमें इसकी ओर चलना होगा…”
आगे के अपने संबोधन में आरएसएस प्रमुख कहते हैं, “…हमने डॉक्टर बाबासाहेब के नेतृत्व में अपने संविधान का मसौदा तैयार किया था। जब भारत की संसद में उस संविधान का अनावरण किया गया था, तब डॉ. बाबासाहेब ने दो भाषण दिए थे…यह हमारे लिए खुद को इसके लिए योग्य बनाने के लिए एक मार्गदर्शक है। हमें इसे हर साल 14 अप्रैल और 6 दिसंबर को पढ़ना चाहिए और आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। वह एकता के महत्व की बात करते हैं…”