India News: बिहार में दलित आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. जिस मामले में दोषी पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई को लेकर सिसासत तेज हो गई है. इस बीच 5 सितंबर 1994 को हुई यह घटना की यादें भी ताजा हो गई है. आईएएस एसोसियसन के साथ अन्य नेताओं ने भी आनंद मोहन सिंह के रिहाई पर नीतीश सरकार के मंसा पर सवाल उठाया है.
दिसंबर 1994 में हुई वारदात को याद करते हुए उस वक्त के डीएम के ड्राइवर दीपक कुमार बताते हैं, “शायद मुझे उस दिन साहेब की बात नहीं माननी चाहिए थी.” उन्होंने कहा, “हम 1994 में एक बैठक के बाद हाजीपुर से वापस आ रहे थे. तभी भीड़ ने हम पर हमला किया. यह जानना मुश्किल है कि इसमें कौन-कौन थे. भीड़ ने सबसे पहले एम्बेसडर कार से कृष्णैया सर के बॉडीगार्ड को बाहर खींच लिया. मैंने कार नहीं रोकी और भीड़ से आगे बढ़ने की कोशिश की, लेकिन सर ने मुझे कार रोकने के लिए कहा, क्योंकि वह अपने बॉडीगार्ड को बचाना चाहते थे, जो पीछे छूट गए थे.”
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दीपक ने आगे कहा, “जैसे ही मैंने कार रोकी, भीड़ ने हम पर हमला कर दिया. उन्होंने मुझे इतनी बुरी तरह पीटा कि मैं सुनने में अक्षम हो गया. आखिरी बार मैंने कृष्णैया सर को तभी देखा था. मैं अपनी जान बचाने में कामयाब रहा. कुछ देर बाद जब मैं वापस आया, तो मैंने सर को गड्ढे में बेजान पड़ा देखा. चारों तरफ खून था. हम उन्हें अस्पताल ले गए.” उन्होंने कहा, “कृष्णैया सर हमेशा हमलोगों के बारे में सोचते थे.”
स्रोत- NDTV को दिए साक्षात्कार के आधार पर.