Sunday, July 7, 2024
Homeनेशनलपहले दही और अब सीआरपीएप परीक्षा को लेकर बवाल, तमिल भाषा को...

केवल अंग्रेजी और हिंदी भाषा में परीक्षा की अनिवार्यता तमिल भाषी छात्र को परीक्षा देने से रोकता है, जो कि उसके संवैधानिक अधिकार का हनन है. तमिलनाडु सरकार की प्रेस विज्ञप्ति की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु से सीआरपीएफ के 579 पदों पर भर्ती होनी है.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री हिंदी भाषा को लेकर लगातार केंद्र सरकार पर हमला बोल रहे है. स्टालिन का आरोप है, कि केंद्र तमिलनाडु की जनता पर हिन्दी थोप रहा है. स्टालिन ने पहले दही के पाउच पर दही लिखने को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला था और इस बार अर्ध्दसैनिक बलों की परीक्षा का माध्यम तमिल न होने पर अमित शाह को पत्र लिखा है.

आपको बता दें कि सीआरपीएफ की भर्ती परीक्षा होनी है, जिसमें हिंदी और अंग्रेजी भाषा को अनिवार्य किया गया है. इसपर स्टालिन ने विरोध जताया है, स्टालिन का कहना है कि भर्ती परिक्षा में केवल अंग्रेजी और हिंदी को शामिल करना तमिल भाषा के साथ भेदभाव है. गृह मंत्री को लिखे पत्र में इस कदम को तमिलनाडु की जनता के साथ घोर भेदभाव बताया. इस पत्र में स्टालिन ने कहा कि परीक्षा में केवल अंग्रेजी और हिंदी को अनिवार्य करना एकतरफा है.

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मिल भाषी छात्र को परीक्षा देने से रोकता है

आगे मुख्यमंत्री ने कहा कि केवल अंग्रेजी और हिंदी भाषा में परीक्षा की अनिवार्यता तमिल भाषी छात्र को परीक्षा देने से रोकता है, जो कि उसके संवैधानिक अधिकार का हनन है. तमिलनाडु सरकार की प्रेस विज्ञप्ति की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक तमिलनाडु से सीआरपीएफ के 579 पदों पर भर्ती होनी है. जिसके लिए 12 केंद्रों पर परीक्षा का आयोजन किया जाएगा.

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पहले दही पर राजनीति

इससे पहले साउथ की राजनीति दही पर खट्टी हुई थी. उस वक्त FSSAI ने दक्षिण भारत में दही बनाने वाली कमपनियों को यह निर्देश दिया था कि वे दही की पैकेट पर दही ही नाम लिखे, भले ही ब्रेकेट में वहां के स्थानिय भाषा का नाम लिख सकती है. विवादों के बाद FSSAI ने अपना फैसला वापस ले लिया था.

 

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