Ghulam Nabi Azad resigns:
नई दिल्ली: कांग्रेस के खेमें से बड़ी खबर सामने आई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व में राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। आजाद ने पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी को 5 पन्नों का इस्तीफा भेजा है। उनके इस्तीफे से पार्टी को बड़ा झटका लगा है। इस्तीफे में गुलाम नबी आजाद ने लिखा है कि बड़े अफसोस और बेहद भावुक दिल के साथ मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना आधा सदी पुराना नाता तोड़ने का फैसला किया है। उन्होंने पत्र में राहुल गांधी पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस संघर्ष और सही दिशा में लड़ाई लड़ने की इच्छाशक्ति खो चुकी है। ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा से पहले कांग्रेस को देशभर में जोड़ने की कवायद की जानी चाहिए थी।
उन्होंने कांग्रेस में बिताए अपने पांच दशक के राजनीतिक जीवन का जिक्र करते हुए इंदिरा गांधी, संजय गांधी और राजीव गांधी की तारीफ की। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से जब से पार्टी में राहुल गांधी की एंट्री हुई और खासतौर से 2013 में कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने, तब से उन्होंने पार्टी में बातचीत का पूरा खाका ही ध्वस्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि राहुल की लीडरशिप में पार्टी के सभी वरिष्ठ अनुभवी नेताओं को कांग्रेस में पूरी तरह से साइडलाइन कर दिया गया। अनुभवहीन नेता पार्टी के मामले देखने लगे। इसके बाद से लगातार कांग्रेस को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। 2014 से लेकर अभी तक कांग्रेस दो लोकसभा चुनाव हार चुकी है।
इतना ही नहीं गुलाम नबी ने लिखा कि 2014 से 2022 के बीच 49 विधानसभा चुनाव हुए, जिनमें से 39 में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस को चार राज्यों में जीत मिली तो 6 राज्यों में सहयोगी दल की सरकार बनी। मौजूदा समय में कांग्रेस सिर्फ दो राज्यों में ही सत्ता में है और दो राज्यों में सहयोगी दल के तौर पर शामिल है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की स्थिति को लेकर पार्टी के 23 वरिष्ठ साथियों ने शीर्ष नेतृत्व को अपने सुझाव दिए थे, लेकिन उन्हें नहीं माना गया। ऐसे में राहुल गांधी ने उसे अपने ऊपर निजी तौर पर लिया था।
गुलाम नबी आजाद ने ये भी लिखा कि 2019 के चुनाव के बाद से पार्टी में हालात खराब हुए हैं। विस्तारित कार्य समिति की बैठक में पार्टी के लिए जीवन देने वाले सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों का अपमान करने से पहले राहुल गांधी के हड़बड़ाहट में पद छोड़ने के बाद, आपने अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया। एक पद जिस पर आप आज भी पिछले तीन वर्षों से काबिज हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि यूपीए सरकार की संस्थागत अखंडता को ध्वस्त करने वाला रिमोट कंट्रोल मॉडल अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में लागू हो गया था जबकि आप केवल एक मामूली व्यक्ति हैं, सभी महत्वपूर्ण निर्णय राहुल गांधी द्वारा लिए जा रहे थे या इससे भी बदतर उनके सुरक्षा गार्ड और पीए फैसले ले रहे थे। जानकारी हो कि इससे पहले कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद उन्हें सपा ने राज्यसभा भी भेजा है।
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