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Hanuman Temple: दिल्ली में है दक्षिणमुखी हनुमान जी का सबसे विशाल मंदिर, जानिए इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं

• LAST UPDATED : December 13, 2022

Hanuman Temple:

Hanuman Temple: देश की राजधानी नई दिल्ली में वैसे तो बहुत कुछ देखने लायक है पर आपको बता दे दिल्ली के कनॉट प्लेस में एक दक्षिणमुखी हनुमान जी का प्राचीन मंदिर स्थित है। दरअसल यह हनुमान जी के पौराणिक मंदिरों में एक है। यह पूरे संसार का ऐसा विशाल मंदिर है जो दक्षिणमुखी है। बता दे यहां भगवान हनुमान स्वयंभू हैं।

आपको बता दे इस मंदिर से भक्तों की श्रद्धा और आस्था जुड़ी है। इसलिए यहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। खासकर मंगलवार, शनिवार, हनुमान जंयती और हनुमान जी के विशेष पर्व में मंदिर में श्रद्धालु की खूब भीड़ होती है।

पांडवों ने की इस मंदिर की स्थापन

बता दे इस मंदिर से जुड़ी धार्मिक मान्यता और इतिहास के अनुसार, इसका ऐतिहासिक नाम इंद्रप्रस्थ शहर है, जिसे पांडवों द्वारा महाभारत काल में यमुना नदी के तट पर बसाया गया था। उस समय पांडवों का राज इंद्रप्रस्थ और कौरव का राज हस्तिनापुर पर हुआ करता था। कहा जाता है कि इंद्रप्रस्थ की स्थापना के समय पांडवों द्वारा इस शहर में पांच हनुमान मंदिरों की स्थापना की गई थी, हनुमान जी का यह दक्षिणमुखी मंदिर भी उन्हीं पांच मंदिरों में एक है।

राजा मानसिंह ने कराया इस मंदिर का निर्माण

इतिहास के पन्नों पर इस मंदिर का निर्माण 1364 ईसवी बताया गया है। बता दे राजा मानसिंह ने अपने पुत्र जय सिंह के नाम पर मंदिर का निर्माण कराया था। ऐसा कहा जाता है कि राजा मानसिंह ने मजदूरों को इस स्थान की सफाई करने के आदेश दिए थे तो खुदाई के दौरान यहां जमीन से हनुमान जी की मूर्ति निकली। इसके बाद राजा मानसिंह ने इस स्थान पर हनुमान जी के मंदिर बनवाने का आदेश दिया।

जानिए इस मंदिर का महत्व
यहीं पर लिखा गया हनुमान चालीसा

मान्यता है कि संत तुलसीदास जब 16 वीं सदी में दिल्ली भ्रमण के लिए आए थे, तब उन्होंने इस मंदिर के दर्शन किए थे। इसी पवित्र स्थान से रामचरित मानस जैसे धर्मग्रंथ लिखने वाले तुलसीदास जी को 40 चौपाई वाले हनुमान चालीसा लिखने की प्रेरणा मिली।

सांमप्रदायिक एकता की मिसाल है मंदिर

हनुमान जी का यह दक्षिणमुखी मंदिर को न सिर्फ हिंदू बल्कि सर्वधर्म एकता का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि एक बार मुगल बादशाद अकबर ने इस मंदिर में पुत्र की प्राप्ति के लिए कामना की थी और हनुमान जी की कृपा से उन्हें सलीम के रूप में पुत्र की प्राप्ति हुई। आज भी मंदिर के शिखर पर ओम और किरीट कलश के साथ चंद्रमा स्थित है, जोकि सांमप्रदायिक एकता की मिसाल है।

 

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