Land Sinking In Uttarakhand:
Land Sinking In Uttarakhand: उत्तराखंड के जोशीमठ क्षेत्र में हो रही भू-धंसाव को देख केंद्र और राज्य सरकार सतर्क हो गई है। वह इस समस्या का हल निकालने की कोशिश कर रही हैं। इस बीच भू-वैज्ञानिक और विशेषज्ञों ने हिमालय के अन्य क्षेत्रों के बारे में जरूरी सूचना दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तरकाशी (Uttarkashi) और नैनीताल (Nainital) में भी भू-धंसाव की जद में हैं।
नैनीताल और उत्तरकाशी के लिए बड़ा खतरा
भू-विज्ञान के प्रोफेसर डॉक्टर बहादुर सिंह कोटलिया ने कहा है कि, ”हम जो जोशीमठ में देख रहे हैं, वह जल्द ही नैनीताल, उत्तरकाशी और चंपावत में घट सकता है। ये इलाके भूकंपीय गतिविधि, फॉल्टलाइन के फिर से सक्रिय होने, भारी आबादी और निर्माण गतिविधियों के लिए बेहद संवेदनशील हैं। इन शहरों की बुनियाद बेहद खराब है जो उन्हें कमजोर बना रही है।”
MCT-2 भू-वैज्ञानिक समस्या
कोटलिया ने आगे कहा, हाल में जोशीमठ में जो स्थिति बनी है, उसके पीछे का कारण ‘मेन सेंट्रल थ्रस्ट’ (MCT-2) का फिर से सक्रिय होना है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट एक भू-वैज्ञानिक समस्या है, जिसके फिर से सक्रिय होने के चलते भारतीय प्लेट ने हिमालय के साथ यूरेशियन प्लेट के नीचे वाले हिस्से में धकेलने वाली गतिविधि की है।
आप प्रकृति से लड़ नहीं सकते!
वह सरकार पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि, ”दो दशक से हम सरकारों को इस बारे में चेताते आ रहे हैं लेकिन अब तक इसे नजरअंदाज किया गया। आप भूविज्ञान से नहीं लड़ सकते, आप प्रकृति से लड़ और जीत नहीं सकते।”
ये भी पढ़े: आज ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में राहुल गांधी को मिलेगा महिलाओं का साथ, कुरुक्षेत्र पहुंची यात्रा