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Lumpy Skin Disease: देश के कई राज्यों में लंपी वायरस मवेशियों पर कहर बनकर टूटा, जानें इसके लक्षण और इलाज

• LAST UPDATED : September 10, 2022

Lumpy Skin Disease:

नई दिल्ली: लंपी वायरस तेजी से देशभर में फैल रहा है जो एक चिंता का विषय बन गया है। ये वायरस देश के 12 राज्यों में पशुओं को निगल रही है। सबसे ज्यादा इसका प्रकोप राजस्थान में देखने को मिल रहा है। राज्य में 57 हजार से भी मवेशियों की इस बीमारी से मौत हो गई है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब सहित देश के अन्य राज्यों में मवेशियों की जान बचाने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाए जा रहे हैं।

दिल्ली सरकार भी अलर्ट मोड पर

केंद्र से लेकर राज्यों की सरकारें इस बिमारी को फैलने से रोकने का प्रयास कर रहे हैं। दिल्ली सरकार भी इसे लेकर अलर्ट मोड पर है। केंद्र सरकार ने कहा है कि लंपी वायरस से लड़ने के लिए सभी 12 राज्यों से समन्वय स्थापित हो रहा है। आइए जानते हैं क्या है ये लंपी वायरस।

लंपी वायरस

कैपरी पॉक्स वायरस को लंपी वायरस के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इसे ढेलेदार त्वचा रोग वायरस भी कहा जाता है। ये वायरस पॉक्सविरिडाए डबल स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस परिवार से शुरू होता है। इस वायरस को पॉक्स वायरस भी कहते हैं। रीढ़ और बिना रीढ़ वाले जंतु इसके प्राकृतिक मेजबान होते हैं। इस परिवार में अभी 83 प्रजातियां हैं जो 22 पीढ़ी और दो उप-परिवारों में विभाजित हैं। इस परिवार से जुड़ी बीमारियों में स्मॉलपॉक्स यानी चेचक भी आता है। पशुओं के अच्छे स्वास्थ्य के लिए विश्व संगठन ने इस बीमारी को अधिसूचित किया है। ये वायरस पशुओं की खाल पर देखने को मिलता है।

लंपी वायरस के लक्षण

आपको बता दें कि इस वायरस से पशुओं की खाल पर गांठें हो जाती हैं फिर उनमें पस पड़ जाता है। आखिर में ये घाव खुजली वाली पपड़ी में बदल जाता है, जिस पर वायरस महीनों तक रहता है। यह वायरस जानवर की लार, नाक के स्राव और दूध में भी देखने को मिलता है। इसके अलावा इसके लक्षणों में पशुओं की लसीका ग्रंथियों में सूजन आना, बुखार आना, अत्यधिक लार आना और आंख आना शामिल हैं।

ये है लंपी वायरस का इलाज

इस बीमारी का अभी तक कोई विशेष इलाज नहीं मिला है लेकिन पूर्वी अफ्रीका के देश केन्या में शीप पॉक्स और गोट पॉक्स के लिए बने टीके कैपरी पॉक्स के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के उपाय के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं। कैपरी पॉक्स वायरस सिंगल सीरोटाइप होता है इसलिए वैक्सीन का असर भी लंबा होता है। पशुओं में बीमारी फैलने पर उन्हें अलग रखने को कहा जाता है। भारत में इस वायरस से लड़ने के लिए पशुओं को गोट पॉक्स वैक्सीन की डोज दी जा रही है।

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