महाराष्ट्र शिवसेना में बगावत दौर चल रहा है। जहां एक तरफ पहले ही बागी नेता एकनाथ शिंदे शिवसेना के 40 से ज्यादा विधायक ले उड़े, और महाराष्ट्र के सीएम की कुर्सी पर कब्जा कर लिया, तो वहीं दूसरी तरफ अब शिवसेना के सासंद भी ठाकरे पर राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का दवाब बना रहे हैं।
इस बीच सोमवार को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में एक बैठक बुलाई गई थी। हालांकि इस बैठक में पार्टी के 18 लोकसभा सदस्यों में से 13 सदस्य शामिल हुए थे। जानकारी मिली है कि आधिकांश सांसदों के एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन दे रहे थे, जिससे नाराज होकर शिवसेना नेता संजय राउत बैठक से उठकर चले गए थे।
हालांकि इस मामले में संजय राउत ने बयान देते हुए कहा कि उन्हें सामना दफ्तर में काम था इसलिए मीटिंग खत्म होने पर वह मातोश्री से चले गए थे। उन्होंने कहा कि, ‘मैं नाराज़ नहीं हूं। मेरे बैठक से उठकर चले जाने की जिसने खबर दी है वो लोग मूर्ख हैं। ऐसी खबरें देने के लिए एक तंत्र काम कर रहा है।’
द्रौपदी मुर्मू वाली बात को लेकर उनका कहना था कि आदिवासी इलाकों में काम कर रहे कई कार्यकर्ता शिवसेना में काम कर रहे हैं। कल हमारी बैठक में द्रौपदी मुर्मू पर चर्चा हुई थी। हम सबकी राय समझते हैं। द्रौपदी मुर्मू को सपोर्ट करने का मतलब बीजेपी को सपोर्ट करना नहीं है।
उन्होंने आने वाले एक से दो दिन में राष्ट्रपति को लेकर शिवसेना की भूमिका के साफ होने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि जल्द ही उद्धव ठाकरे फैसला ले लेंगे। देश में विपक्ष के जिंदा रहने की बात कहते हुए और यशवंत सिन्हा के बारे में बात करते राउत ने कहा, ‘यशवंत सिन्हा के प्रति हमारी भी सद्भावना है। लोगों को जो महसूस होता है उसके आधार पर निर्णय लेने होते हैं। इससे पहले हमने प्रतिभा पाटिल का समर्थन किया था। उस समय, हमने एनडीए उम्मीदवार का समर्थन नहीं किया था।
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