India News(इंडिया न्यूज),Manipur Violence: मणिपुर हिंसा में अबतक सेना द्वारा आधिकारिक बयान के अनुसार 23,000 से अधिक नागरिकों को बचाया जा चुका है। वहीं शनिवार तक जारी आकंड़े के अनुसार मरने वालों की आधिकारिक संख्या 55 हो गई, लेकिन स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़े 100 से ज्यादा हो चुका है। दरअसल, मणिपुर में जातीय हिंसा हिंसा सामने आने के बाद भारतीय सेना और असम राइफल्स परिस्थिति से निपटने के लिए प्रदेश में उतारा गया था। सेना के द्वारा विशेष ऑपरेशन कर स्थिति को नियंत्रण में लाया गया है।
समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि बचाव अभियान शुरू होने के बाद से हिंसा की कोई घटना नहीं हुई है और कर्फ्यू में सुबह 7 बजे से 10 बजे तक ढील दी गई है।
गौरतलब है कि, भारतीय सेना सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए पिछले 96 घंटों से अथक रूप से काम कर रहे हैं। रविवार को कोई बड़ी हिंसा की सूचना नहीं मिलने के बाद कर्फ्यू में ढील दी गई। रविवार सुबह 7-10 बजे चुराचांदपुर में, उसके तुरंत बाद सुरक्षा बलों ने फ्लैग मार्च किया।
इस बीच, मणिपुर से भागकर कछार सहित असम के सीमावर्ती इलाकों में भागे लोगों की संख्या शनिवार को बढ़कर कम से कम 1,500 हो गई। असम सरकार द्वारा आठ शिविर स्थापित किए गए हैं, और एक शांति समिति स्थापित की गई है।
पिछले 24 घंटों में, मणिपुर में सेना ने हवाई साधनों का उपयोग करके निगरानी के प्रयासों में काफी वृद्धि देखी है। इंफाल घाटी में मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) के साथ-साथ सेना के हेलीकॉप्टरों में भी वृद्धि हुई है।
उल्लेखनीय है कि गत बुधवार को मणिपुर के इंफाल घाटी में प्रभावशाली समुदाय मेती, जो राज्य की कुल आबादी का 53 प्रतिशत से अधिक है, और पहाड़ी जिलों में रहने वाले जनजातीय समुदायों, विशेष रूप से कुकी के बीच झड़पें हुईं। जो कि देखते-देखते हिंसा में बदल गई। आगजनी, हिंसा और मारपीट देखी गई। जिसके बाद स्थिति राज्य सरकार की हाथ से निकल गया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गृहमंत्री ने प्रदेश सीएम से स्थिति की जानकारी ली। जिसके बाद अतिरिक्त सेना के जवानों को प्रदेश में भेजने का फैसला लिया गया।