India News(इंडिया न्यूज): मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी, जो रातोंरात पूरे राज्य में फैल गई थी। इस हिंसा में कम से कम 54 लोगों की जान चली गई. आज इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
‘सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरानी’
सुनवाई को दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी समुदाय को जनजाति लिस्ट में शामिल करने को लेकर दिए गए हाई कोर्ट के फैसले पर हैरानी जताई. कोर्ट ने कहा कि कैसे हाई कोर्ट किसी समुदाय को जनजाति समूंह में शामिल करने का आदेश दे सकता है. इस मामले पर अगली सुनवाई की तारिख 17 मई को रखी गई है.
‘सुप्रीम कोर्ट का निर्देश’
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान, हालात सामान्य करने के लिए सरकार की तरफ से उठाए जा रहे कदमों को रिकॉर्ड पर लिया. साथ ही हिंसा के दौरान विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया.
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वही जो लोग राहत शिविरों में रह रहें है उन लोगों को सुविधा और मेडिकल सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश सरकार को दिया. वही इस मामले पर मणिपुर सरकार ने बताया कि इस मामले पर कानूनी कदम उठाए जा रहे हैं. सरकार ने बताया कि हालात समान्य हो रहे हैं. आज कर्फ्यू में भी कुछ घंटे की ढ़ील दी गई है.